देशभक्ति का नतीजा ऐसा नहीं हो कि हम इतिहास के प्रति आंखें मूंदने वाला रवैया अपनाएं : राष्ट्रपति

देशभक्ति का नतीजा ऐसा नहीं हो कि हम इतिहास के प्रति आंखें मूंदने वाला रवैया अपनाएं : राष्ट्रपति

फोटो- राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी...

खास बातें

  • अपनी पसंद की दलील को सही ठहराने के लिए सच से समझौता न करें- राष्‍ट्रपति
  • राष्ट्रपति ने इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के 77वें सत्र का उद्घाटन किया.
  • इतिहास के प्रति ज्यादा से ज्यादा तथ्यपरक रवैया अपनाएं- राष्ट्रपति मुखर्जी
तिरुवनंतपुरम:

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि देशभक्ति का नतीजा यह नहीं होना चाहिए कि हम इतिहास की व्याख्या करते वक्त तथ्यों की ओर से 'आंखें मूंदने' वाला रवैया अपनाएं या अपनी पसंद की दलील को सही ठहराने के लिए सच से कोई समझौता कर लें.

भारतीय इतिहास कांग्रेस (इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस) के 77वें सत्र का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने इतिहासकारों से कहा कि वे इतिहास के प्रति ज्यादा से ज्यादा तथ्यपरक रवैया अपनाएं.  उन्होंने कहा कि बौद्धिक तौर पर संदेह करने, असहमत होने और किसी चीज पर सवाल उठाने की आजादी की रक्षा लोकतंत्र के एक आवश्यक स्तंभ के तौर पर जरूर की जानी चाहिए.

तर्क और संतुलन को मार्गदर्शक बताते हुए मुखर्जी ने कहा, 'अपने देश से प्रेम करना और उसके अतीत में अधिकतम वैभव देखना स्वाभाविक है.. लेकिन, देशभक्ति का नतीजा यह नहीं हो कि इतिहास की व्याख्या में तथ्यों की अनदेखी करने वाला रवैया अपनाने लग जाएं या अपनी पसंद की दलील को सही ठहराने के लिए सच से समझौता करने लग जाएं'.

उन्होंने कहा, 'कोई भी समाज पूरी तरह सही नहीं है और इतिहास को इस मार्गदर्शक के तौर पर देखा जाना चाहिए कि अतीत में क्या गलत हुआ और कैसे विरोधाभास, कैसी विसंगतियां और कैसी कमजोरियां थीं'. राष्ट्रपति ने कहा, 'इतिहास की एक तथ्यपरक व्याख्या, जैसी कि हमारे सर्वश्रेष्ठ इतिहासकारों ने कोशिश की है, के लिए किसी न्यायाधीश जैसा निष्पक्ष मस्तिष्क होना चाहिए, न कि किसी वकील जैसा दिमाग'.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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