यह ख़बर 19 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

कर्नाटक के लोकायुक्त पाटील ने दिया इस्तीफा

खास बातें

  • कर्नाटक के नवनियुक्त लोकायुक्त शिवराज वीरुपन्ना पाटील ने को-आपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के नियमों के उल्लंघन में घिरने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया।
बेंगलुरू:

कर्नाटक के नवनियुक्त लोकायुक्त शिवराज वीरुपन्ना पाटील ने को-आपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के नियमों के उल्लंघन में घिरने के बाद सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनपर आरोप है कि उनके तथा उनकी पत्नी के नाम पर दो आवासीय स्थल हैं, जो नियमों का उल्लंघन कर खरीदे गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पाटील ने राज्य के पूर्व लोकायुक्त एन. संतोष हेगड़े की सेवानिवृत्ति के बाद तीन अगस्त को इस पद को सम्भाला था। अवैध खनन घोटाले से सम्बंधित हेगड़े की रिपोर्ट के कारण दक्षिण भारत में पहली बार बनी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को 31 जुलाई को इस्तीफा देना पड़ा था। पाटील ने विवाद के मद्देनजर अपना इस्तीफा राज्यपाल हंसराज भारद्वाज को सौंप दिया। उन्होंने हालांकि कहा कि वह और उनकी पत्नी अपनी जमीन वापस कर देंगे। राजभवन के एक प्रवक्ता ने बताया, "न्यायमूर्ति पाटील ने राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें एक पत्र सौंपा। राज्यपाल ने उस पर क्या निर्णय लिया, यह जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।" पाटील ने इससे पूर्व 4,012 वर्ग फीट जमीन की खरीद में कुछ भी गलत होने से इनकार किया था। यह जमीन 2006 में बेंगलुरू के बाहरी इलाके नागावारा के निकट व्यालीकवल हाउसिंग बिल्डिंग को-आपरेटिव सोसायटी से पाटील की पत्नी अन्नपूर्णा के नाम से खरीदी गई थी। पाटील ने यह जमीन बेंगलुरू में अपना एक घर रहते हुए खरीदी थी। घर बनाने के लिए उन्होंने 1994 में 9,600 वर्ग फीट जमीन बेंगलुरू के बाहरी इलाके अल्लासांद्रा में कर्नाटक स्टेट ज्यूडीशियल डिपार्टमेंट एम्प्लायीज हाउस बिल्डिंग को-आपरेटिव सोसायटी से खरीदी थी। को-आपरेटिव सोसायटी का नियम कहता है कि जिस व्यक्ति के पास शहर में एक भूखंड या मकान है, वह हाउसिंग सोसायटी से दूसरा भूखंड हासिल करने का पात्र नहीं है, क्योंकि ऐसे भूखंड सोसायटी के सदस्यों को बाजार दर से काफी कम कीमत पर बेचे जाते हैं।


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