
Lockdown: प्रवासी मजदूरों के पास छह सौ रुपये नहीं होने की वजह से छिंदवाड़ा प्रशासन बिहार नहीं भिजवा पा रहा था, इसलिए मज़दूरों ने पैदल ही क्वारंटाइन सेंटर से रेलवे पटरी पकड़ ली. रेलवे पटरी से जाते हुए 95 मजदूरों को जिला प्रशासन ने रोककर समझाइश देकर ट्रेन से भेजने के प्रस्ताव की बात की और शेल्टर होम लौटाया.
यूपी, राजस्थान में सियासी दांव पेंच के चलते कोरोना संकट में फंसे लोगों के बाद अब महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और बिहार सरकार में समन्वय नहीं होने का खामियाजा मजदूर भोग रहे हैं. पिछले चार-पांच दिनों में पहले महाराष्ट्र के पूना से 95 मजदूरों के दल को महाराष्ट्र शासन द्वारा बिहार छोड़ने की बात कहकर बस में बिठा दिया गया लेकिन महाराष्ट्र की बस ने सभी मजदूरों को सीमावर्ती प्रदेश मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में छोड़ दिया और चली गई. कहा गया कि अब मध्यप्रदेश की बसें यहां से उनको बिहार छोड़ेगी. लेकिन आज पांच छह दिन बीत जाने के बाद प्रशासन से बार-बार अनुरोध किए जाने के बाद भी जिला प्रशासन ने उनको बिहार नहीं भेजा.
मजदूरों ने आरोप लगाया कि जब हमने प्रशासन से गांव छोड़ने की बात कही तो उसका कहना था कि आप लोगों के पास छह-छह सौ रुपये हों तो आपको भिजवा देंगे. लेकिन मजदूरों के पास पैसा नहीं होने की वजह से जिला अधिकारियों ने उनको घर छुड़वाने में रुचि नहीं ली.
आज इसी बात से नाराज होकर सभी मज़दूर आदिवासी छात्रावास में बने क्वारंटाइन सेंटर से भाग गए और रेलवे पटरी पकड़कर अपनी मंजिल बिहार के लिए निकल पड़े. लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस ने सभी मज़दूरों को शहर में रोककर समझाइश देते हुए कहा कि हमने ट्रेन से भेजने का प्रस्ताव भेजा है. दो-तीन दिन में स्वीकृति मिलने के साथ ही आपको भेज दिया जाएगा. फिलहाल प्रशासनिक अधिकारियों ने सभी मजदूरों को क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं