भारत की पहली हॉस्पिटल ट्रेन मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पहुंची. लाइफलाइन एक्सप्रेस पूरे देश में अब तक 12 लाख मरीजों को इलाज मुहैया करा चुकी है और इसकी शुरुआत 1991 में हुई थी. ट्रेन का नाम लाइफलाइन एक्सप्रेस इसलिए है क्योंकि यह एक चलता फिरता अस्पताल है. लाइफलाइन एक्सप्रेस एक सिस्टम के तहत काम करती है. पहले मरीजों के लिए एक योजना बनायी जाती है फिर इस ट्रेन में इलाज के लिए मरीजों को तारीख दी जाती है. तय समय पर मरीजों का इलाज किया जाता है. कई बड़ी कंपनियां मरीजों के इलाज में सहयोग देती हैं और मरीजों से किसी तरह की फीस नहीं ली जाती है.
जीवनरेखा एक्सप्रेस इम्पेक्ट इंडिया फाउंडेशन, भारतीय रेलवे और स्वास्थ्य मंत्रालय की सहभागिता से चलती है. ट्रेन को आईआईएफ(इंटरनेशनल चैरिटेबल सोर्स) और कई लोगों द्वारा फंड दिया जाता है. इस ट्रेन ने भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है और प्रेरणा दी है. विकलांग वयस्कों और बच्चों के लिए ऑन द स्पॉट उपचार प्रदान करने के लिए लाइफलाइन एक्सप्रेस शुरू की गई थी.
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