विज्ञापन
This Article is From Oct 13, 2016

तीन तलाक : केंद्र के हलफ़नामा के बाद अब कॉमन सिविल कोड पर लॉ कमीशन का सवालनामा

तीन तलाक :  केंद्र के हलफ़नामा के बाद अब कॉमन सिविल कोड पर लॉ कमीशन का सवालनामा
नई दिल्‍ली: मुस्लिम मानस से जुड़े इन दोनों अहम मुद्दों पर राजनीति की रेखाएं खिंच गई हैं. विपक्ष का आरोप है कि सरकार अगले साल के चुनावों से पहले ये मुद्दे उठाकर राजनीतिक ध्रुवीकरण की कोशिश में है. तीन तलाक और लॉ कमीशन के सवालनामे के ख़िलाफ़ मुस्लिम संगठन कमर कसते नज़र आ रहे हैं. उनके मुताबिक ये मुल्क के जज़्बे के ख़िलाफ़ है.

लोक सभा सांसद मौलाना असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कॉमन सिविल कोड देश की एकता और अखंडता को कमज़ोर करेगा. एेसे कोई भी पहल नहीं होना चाहिए. हालांकि मुस्लिम महिलाओं का एक समूह तीन तलाक के विरोध में खड़ा है. भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन से जुड़ी ज़किया सोमेन ने कहा कि ये मुस्लिम महिलाओं के हक के खिलाफ है.

तीन तलाक और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर जज़्बात के इस उबाल को भारतीय राजनीति ख़ूब समझती है. अगले साल यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव हैं. इसलिए पार्टियां अपने-अपने रुझानों के हिसाब से इस मुद्दे पर बंटी दिख रही हैं. विपक्ष का इल्ज़ाम है कि चुनावों से पहले बीजेपी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है.

जनता दल यूनाइटेड के सांसद और नेता अली अनवर ने आरोप लगाया कि सरकार की नीयत खराब है. अनवर ने कहा, "लॉ कमिशन की पहल की टाइमिंग गलत है. इसे उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर तय किया गया है. सरकार इसके ज़रिये यूपी चुनावों तक कॉमन सिविल कोड पर बहस को आगे बढ़ाना चाहती है. ये मुस्लिमों को बदनाम करने की एक कोशिश है".  

जबकि पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि भारत जैसे देश में कॉमन सिविल कोड को लागू करने लगभग नामुमकिन है लेकिन सरकार ने लॉ कमिशन कीकवायद को उचित ठहराया है.

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने एनडीटीवी से कहा कि समाज सुधार के सवाल पर देश में खुली बहस तर्क के साथ होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "कुछ लोग हर चीज़ को चुनाव से जोड़ कर देखना चाहते हैं. ये गलत है. देश सुधार की तरफ बढ़ रहा है. समाज सुधार के पक्ष और विपक्ष पर खुली बहस होती है तो देश के लाभ होगा".

कॉमन सिविल कोड हमेशा से बीजेपी के तीन अहम मुद्दों में शामिल रहा है. लेकिन इस पर बहस के दौरान बार-बार ये कहा जाता रहा है कि की कामन सिविल कोड ठीक है लेकिन इसे जबरन समाज पर नहीं थोपा जाना चाहिए. अब लॉ कमिशन की ताज़ा पहल ने इस संवेदनशील मुद्दे पर फिर से एक बड़ी राजनीतिक बहस छेड़ दी है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com