लोकसभा में धारा 370 के हटाए जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan chowdhury) इस हद तक आगे निकल गए कि खुद सोनिया गांधी बेचैन नजर आने लगीं. अधीर रंजन चौधरी ने गृहमंत्री से सवाल पूछा कि जिस कश्मीर को लेकर शिमला समझौते और लाहौर डिक्लेरेशन हुआ है और जिस कश्मीर को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो को कहा है कि कश्मीर द्विपक्षीय मामला है तो ऐसे में यह एकपक्षीय कैसे हो गया? आपने अभी कहा कि कश्मीर अंदरूनी मामला है, लेकिन यहां अभी भी संयुक्त राष्ट्र 1948 से मॉनिटरिंग करता आ रहा है. यह हमारा आंतरिक मामला कैसे हो गया? उन्होंने कहा कि सरकार 1994 में पास हुए प्रस्ताव कि पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग इस पर अपना रुख साफ करे. उनके बयान पर बीजेपी सहित कई पार्टियों ने विरोध किया. उस वक्त राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों सदन में मौजूद थे. सोनिया गांधी ने अधीर रंजन चौधरी को फटकार भी लगाई.
कांग्रेस ये कर क्या रही है?अधीर रंजन,मनीष जैसों की निजी आत्ममुग्धताओं व हवाई चमचागिरियों के कारण ही यहाँ पहुँचे हो भाई ! कमजोर विपक्ष हम सबका, देश का,लोकतंत्र का नुक़सान है ! देश के अंदरूनी मसले में UN मध्यस्थता की बात संसद में उठाना बचकाना,बेहूदा व कुल्हाड़ी पर कूदने जैसा है
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) August 6, 2019
इसे लेकर कवि कुमार विश्वास (Kumar vishwas) ने तंज कसा और कहा कि कांग्रेस इन्हीं सब कारणों की वजह से अभी इस हाल में है. कुमार विश्वास ने ट्वीट किया, 'कांग्रेस ये कर क्या रही है? अधीर रंजन, मनीष जैसों की निजी आत्ममुग्धताओं व हवाई चमचागिरियों के कारण ही यहां पहुंचे हो भाई! कमजोर विपक्ष हम सबका, देश का, लोकतंत्र का नुक़सान है! देश के अंदरूनी मसले में UN मध्यस्थता की बात संसद में उठाना बचकाना, बेहूदा व कुल्हाड़ी पर कूदने जैसा है.
संचार-सम्पर्क में हो रही अस्थायी दिक्कत से अचानक पेचिशग्रस्त होकर छाती-माथा कूट रहे अधीर ज्ञानियों से निवेदन है कि देश की एकरूपता के लिए लागू हुए क़ानून के कारण कश्मीर के हमारे भाई-बहन संचार की धारा से चंद घंटों के लिए कटे हैं,विस्थापितों की तरह काटकर नहीं फेंके गए हैं,ठंड रखें
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) August 6, 2019
इससे पहले कुमार विश्वास कश्मीर को लेकर एक और ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, 'संचार-सम्पर्क में हो रही अस्थायी दिक्कत से अचानक पेचिशग्रस्त होकर छाती-माथा कूट रहे अधीर ज्ञानियों से निवेदन है कि देश की एकरूपता के लिए लागू हुए क़ानून के कारण कश्मीर के हमारे भाई-बहन संचार की धारा से चंद घंटों के लिए कटे हैं, विस्थापितों की तरह काटकर नहीं फेंके गए हैं, ठंड रखें.
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बता दें कि कांग्रेस पार्टी के भीतर पहले से ही इस मुद्दे पर एक सुर में आवाज बाहर नहीं आ रही है. कल भुवनेश्वर कलिता ने इस्तीफा देते हुए यह कह दिया कि इस मुद्दे पर वह अलग राय रखते हैं. उसके बाद दीपेंद्र हुड्डा और रायबरेली में कांग्रेस की नेता और विधायक आदित्य सिंह और कांग्रेस के पुराने सिपहसालार जनार्दन द्विवेदी ने धारा 370 हटाने के पक्ष में बयान दिए हैं.
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जबकि गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में इसको न सिर्फ गैर संवैधानिक बताया है बल्कि इसे कश्मीर और भारत के बीच के पुल टूटने जैसा भी बताया है. आज जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस पार्टी के भीतर से दो तरह की आवाजें क्यों आ रही है तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जिन लोगों को कश्मीर और कांग्रेस का इतिहास नहीं पता है उनसे उनका कोई लेना देना नहीं है. वह लोग पहले कश्मीर और कांग्रेस का इतिहास पढ़ें.
बता दें कि मोदी सरकार ने एक दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 (Article 370) हटाने का ऐलान कर दिया . इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया. वहीं सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का ऐलान भी किया. इसके अनुसार जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख (Ladakh) को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा.
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