कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने रविवार को अपने फैंस के लिए ट्विटर पर एक कविता शेयर की. कविता ऐसी रही कि मानो उसमें कवि कुमार विश्वास अपनी कोई भावी योजना का संकेत दे रहे हों. मसलन, उन्होंने कविता में...फिर से सेतु बनाना है....मतझर का मतलब है फिर बसंत आना है...जैसी बातें कहीं. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मतभेद के बाद पार्टी में साइडलाइन हुए कुमार विश्वास के बारे में पिछले कुछ समय से काफी अटकलें लगतीं रहीं हैं. हालांकि कुमार विश्वास ने कई मौकों पर यह साफ कर दिया कि वह आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने वाले नहीं हैं. वह पार्टी में रहकर ही राजनीति की परिपाटी बदलने की दिशा में आप के पुराने और सिद्धांतों को लेकर समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ काम करते रहेंगे. पढ़िए, कुमार विश्वास की कविता.
तूफ़ानी लहरें हों,
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) February 3, 2019
अम्बर के पहरे हों
पुरवा के दामन पर दाग़ बहुत गहरे हों
सागर के माँझी मत मन को तू हारना
जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है..! (1/3) pic.twitter.com/owg2Zkexs2
घर भर चाहे छोड़े
सूरज भी मुँह मोड़े
विदुर रहे मौन, छिने राज्य, स्वर्णरथ, घोड़े
माँ का बस प्यार, सार गीता का साथ रहे
पंचतत्व सौ पर है भारी, बतलाना है
जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है
राजवंश रूठे तो
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) February 3, 2019
राजमुकुट टूटे तो
सीतापति-राघव से राजमहल छूटे तो
आशा मत हार, पार सागर के एक बार
पत्थर में प्राण फूँक, सेतु फिर बनाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है ! (2/3) https://t.co/HqmGCvz2xQ
राजवंश रूठे तो
राजमुकुट टूटे तो
सीतापति-राघव से राजमहल छूटे तो
आशा मत हार, पार सागर के एक बार
पत्थर में प्राण फूँक, सेतु फिर बनाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है !
घर भर चाहे छोड़े
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) February 3, 2019
सूरज भी मुँह मोड़े
विदुर रहे मौन, छिने राज्य, स्वर्णरथ, घोड़े
माँ का बस प्यार, सार गीता का साथ रहे
पंचतत्व सौ पर है भारी, बतलाना है
जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है ! (3/3) https://t.co/FPJQEcSKue
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