नई दिल्ली:
एक विवादास्पद बयान देते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केरल की पुलिस को इतालवी नाविकों द्वारा दो भारतीय मछुआरों की हत्या की जांच का अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय जल में हुई थी। केंद्र की ओर से अतिरिक्त महान्यायवादी हरिन रावल ने कहा कि इतालवी जहाज एनरिका लेक्सी भारतीय समुद्री सीमा से 20.5 नॉटिकल माइल्स की दूरी पर था जबकि भारत की जलसीमा 12 नॉटिकल माइल्स पर समाप्त हो जाती है।
केंद्र के ऐसे रवैये से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि आप कह रहे हैं कि केरल की पुलिस को यह मामला जांचने का अधिकार नहीं है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। आप ऐसा पक्ष कैसे रख सकते हैं। दो भारतीय लोगों की हत्या की गई है।
बावजूद इसके केंद्र अपने रवैये और बयान पर कायम रहा। सुप्रीम कोर्ट इटली के जहाज के मालिकों द्वारा अपना जहाज छोड़े जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा। यह जहाज 15 फरवरी से भारतीय तट पर रोका गया है। कोच्चि पोर्ट पर खड़े इस जहाज के मालिकों की याचिका को केरल हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
वहीं, केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने भी केंद्र के इस रवैये की भर्त्सना की है और कहा है कि उन्होंने केंद्र से बातचीत के बाद ही सुप्रीम कोर्ट में मामले की पैरवी करवाई थी। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से जब इस मामले पर संपर्क किया गया तब उनका कहना था कि केंद्र के इस पक्ष के बारे में उनसे कोई राय नहीं ली गई थी।
आज का केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में दिया बयान इटली की सरकार द्वारा कहे गए बयान से मेल खाता है उसी बयान में इटली की सरकार ने एक करोड़ रुपये के मुआवजे की पेशकश की थी।
गौरतलब है कि इटली के नाविक लाटोर मैसिमिलानो और सल्वटोर गिरोन को दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या करने के आरोप में 20 फरवरी को गिरफ्तार किया गया। मारे गए भारतीय मछुआरों का नाम अजेश बिंकी (25) और जिलास्टिन (45) हैं। दोनों ही केरल के अलाप्पुझा के रहने वाले हैं। कहा जा रहा है कि इतालवी जहाज पर सवार दोनों नाविकों ने भारतीय मछुआरों को समुद्री लुटेरा समझा जिसके बाद उन्होंने गोली चलाई।
केंद्र के ऐसे रवैये से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि आप कह रहे हैं कि केरल की पुलिस को यह मामला जांचने का अधिकार नहीं है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। आप ऐसा पक्ष कैसे रख सकते हैं। दो भारतीय लोगों की हत्या की गई है।
बावजूद इसके केंद्र अपने रवैये और बयान पर कायम रहा। सुप्रीम कोर्ट इटली के जहाज के मालिकों द्वारा अपना जहाज छोड़े जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा। यह जहाज 15 फरवरी से भारतीय तट पर रोका गया है। कोच्चि पोर्ट पर खड़े इस जहाज के मालिकों की याचिका को केरल हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
वहीं, केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने भी केंद्र के इस रवैये की भर्त्सना की है और कहा है कि उन्होंने केंद्र से बातचीत के बाद ही सुप्रीम कोर्ट में मामले की पैरवी करवाई थी। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से जब इस मामले पर संपर्क किया गया तब उनका कहना था कि केंद्र के इस पक्ष के बारे में उनसे कोई राय नहीं ली गई थी।
आज का केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में दिया बयान इटली की सरकार द्वारा कहे गए बयान से मेल खाता है उसी बयान में इटली की सरकार ने एक करोड़ रुपये के मुआवजे की पेशकश की थी।
गौरतलब है कि इटली के नाविक लाटोर मैसिमिलानो और सल्वटोर गिरोन को दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या करने के आरोप में 20 फरवरी को गिरफ्तार किया गया। मारे गए भारतीय मछुआरों का नाम अजेश बिंकी (25) और जिलास्टिन (45) हैं। दोनों ही केरल के अलाप्पुझा के रहने वाले हैं। कहा जा रहा है कि इतालवी जहाज पर सवार दोनों नाविकों ने भारतीय मछुआरों को समुद्री लुटेरा समझा जिसके बाद उन्होंने गोली चलाई।
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