प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री के दफ़्तर में जब घाटी के हालात को लेकर बैठक हो रही थी, अफ़सर इस बात से ख़ुश थे कि पीछले 24 घंटों में किसी की जान जाने की ख़बर नहीं आई है। तभी सूचना मिली कि काजीगुंड के चुरूट के पास तीन लोग सेना की फायरिंग में मारे गए हैं।
एनडीटीवी को पता चला है कि सेना की बटालियन अपने हेडक्वॉर्टर लौट रही थी जब क़ाफ़िला रुक गया क्योंकि सड़क को ब्लॉक किया गया था। सड़क पर पत्थर रखे हुए थे। उन्हें हटाने के लिए जब सेना के जवान नीचे उतरे, उनपर कुछ लोगों ने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। सेना ने अपने बचाव में फायरिंग की जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। मारे जाने वालों में एक महिला भी शामिल है। ये ख़बर मिलते ही सभी अफ़सरों ने अपने अपने इलाक़ों में सुरक्षा बलों को एहतियात बरतने को कहा।
दरअसल ये हादसा तब हुआ जब संसद में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी राजनीतिक पार्टियों को भरोसा दिलाया था कि उन्होंने सभी सुरक्षा बलों को संयम बरतने को कहा है।
उधर घाटी में सुरक्षा बलों का कहना है कि सत्ता में बैठे लोगों से उन्हें मिलेजुले संकेत मिल रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, "कभी कहते हैं संयम बरतो, कभी कहते हैं एहतियात बरतो तो कभी कहते हैं गोलियों की परवाह मत करो।" दरअसल घाटी में बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन को लेकर अलग अलग आवाज़ें सुनाई देने लगी हैं जिसे लेकर सुरक्षा बलों में काफ़ी उलझन है।
उधर अलगावादी नेताओं ने घाटी में बंद के ऐलान को 22 जुलाई तक बढ़ा दिया है। हालत ख़राब ना हों इसलिए सुरक्षा बल काफ़ी सचेत रहे हैं। केंद्र ने भी सुरक्षा बलों को अलर्ट रहने को कहा है।
एनडीटीवी को पता चला है कि सेना की बटालियन अपने हेडक्वॉर्टर लौट रही थी जब क़ाफ़िला रुक गया क्योंकि सड़क को ब्लॉक किया गया था। सड़क पर पत्थर रखे हुए थे। उन्हें हटाने के लिए जब सेना के जवान नीचे उतरे, उनपर कुछ लोगों ने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। सेना ने अपने बचाव में फायरिंग की जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। मारे जाने वालों में एक महिला भी शामिल है। ये ख़बर मिलते ही सभी अफ़सरों ने अपने अपने इलाक़ों में सुरक्षा बलों को एहतियात बरतने को कहा।
दरअसल ये हादसा तब हुआ जब संसद में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी राजनीतिक पार्टियों को भरोसा दिलाया था कि उन्होंने सभी सुरक्षा बलों को संयम बरतने को कहा है।
उधर घाटी में सुरक्षा बलों का कहना है कि सत्ता में बैठे लोगों से उन्हें मिलेजुले संकेत मिल रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, "कभी कहते हैं संयम बरतो, कभी कहते हैं एहतियात बरतो तो कभी कहते हैं गोलियों की परवाह मत करो।" दरअसल घाटी में बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन को लेकर अलग अलग आवाज़ें सुनाई देने लगी हैं जिसे लेकर सुरक्षा बलों में काफ़ी उलझन है।
उधर अलगावादी नेताओं ने घाटी में बंद के ऐलान को 22 जुलाई तक बढ़ा दिया है। हालत ख़राब ना हों इसलिए सुरक्षा बल काफ़ी सचेत रहे हैं। केंद्र ने भी सुरक्षा बलों को अलर्ट रहने को कहा है।
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