कर्नाटक में मीडिया पर कानून के जरिये नकेल कसने की हो रही तैयारी

राज्‍य में एक ऐसा कानून बनाने पर विचार हो रहा है जिसके ज़रिये नेताओ, मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट, जिससे उनकी छवि खराब होती है, तब तक नहीं दिखाई जा सकेंगी जब तक वो आरोप जांच में साबित न हो जाएं.

कर्नाटक में मीडिया पर कानून के जरिये नकेल कसने की हो रही तैयारी

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी नए कानून की तरफ इशारा किया है

बेंगलुरू :

कर्नाटक (Karnataka) में मीडिया की नकेल कसने की तैयारी चल रही है. राज्‍य में एक ऐसा कानून बनाने पर विचार हो रहा है जिसके ज़रिये नेताओ, मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट, जिससे उनकी छवि खराब होती है, तब तक नहीं दिखाई जा सकेंगी जब तक वो आरोप जांच में साबित न हो जाएं. दरअसल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्‍पा काफी दबाव में हैं. बजट सत्र के शुरुआत में उनके एक मंत्री को विवादास्पद CD मामले के बाद इस्तीफा देना पड़ा और 6 मंत्रियों ने अदालत से ऐन्टीसिपेट्री इनजंक्शन के ज़रिए ऐसी किसी भी रिपोर्ट को दिखाने या लिखने पर रोक लगवा दी जिससे उनकी छवि खराब हो सकती है. इस घटनाक्रम के मद्देनजर अब एक ऐसे कानून बनाने पर विचार चल रहा है जिसके अंतर्गत ऐसी किसी भी रिपोर्ट को लिखने या दिखाने पर रोक होगी जो अदालत में साबित न हुई हो. यानी किसी नेता, मंत्री, अधिकारी की सीडी या फिर ऐसी कोई भी रिपोर्ट जो सीधे छवि खराब करती हो. राज्‍य के गृह और कानून मंत्री बसवराज भोमई ने कहा, 'देखिए कुछ विधायक आए थे, बात हुई है, इसके अलावा आईटी एक्ट भी है. इस बारे में विचार हो रहा है.'

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी नए कानून की तरफ इशारा किया है. जिन 6 मंत्रियों को अदालत से राहत मिली है वो कांग्रेस-जेडीएस के उन 17 विधायकों में से है जिनकी बग़ावत की वजह से कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जेडीएस की साझा सरकार गिरी थी. कर्नाटक कांग्रेस अध्‍यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा, 'यही बीजेपी का चेहरा है. अगर सब ठीक है सभी पाक साफ है तो डर कैसा? आखिरकार नए कानून की जरूरत क्‍यों है?'

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कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद ने भी कहा, ' CD रिलीज न हो, इसलिए कर्नाटक सरकार जो ये कानून क्यों लाना चाहती है. इस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए. उनको सदन में वजह बताना चाहिए कि ये कानून क्यों ला रहे हैं.' मौजूदा सीडी विवाद से जुड़े आरोप प्रत्‍यारोप से जुड़ी रिपोर्ट दिखाने पर अदालत ने रोक लगाई है और अदालत के निर्देश पर बेंगलुरू के पुलिस कमिश्‍नर ने भी आदेश जारी किया है. ऐसे समय जब मौजूद दौर में मीडिया की भूमिका पर सवाल लगातार उठाए जा रहे है और इसके पर्याप्‍त कारण भी हैं लेकिन जिस नए कानून की चर्चा कर्नाटक में चल रही है उसकी टाइमिंग की वजह से विवाद उठ खड़ा हुआ है कि कहीं नैतिकता की आड़ में सरकार मीडिया को काबू में करने की कोशिश तो नहीं कर रही.