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This Article is From Mar 19, 2020

मध्यप्रदेश में 'कमल' या कमलनाथ? कल होगा फैसला- सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने का दिया आदेश

Madhya Pradesh Crisis: मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को कल शाम बजे से पहले फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने को कहा है.

Madhya Pradesh Government Crisis News: कमलनाथ को कल शाम 5 बजे तक साबित करना होगा बहुमत.

नई दिल्ली:

Madhya Pradesh Crisis: मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को कल शाम बजे से पहले फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के नौ विधायकों के साथ ही मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल की याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश में अनिश्चितता की स्थिति को फ्लोर टेस्ट द्वारा प्रभावी ढंग से हल किया जाना चाहिए. कोर्ट ने सात दिशा-निर्देश दिए हैं इनमें, मध्यप्रदेश असेंबली सेशन 20 मार्च को बुलाया जाए, केवल एक एजेंडा, क्या सरकार को बहुमत है? हाथ उठाकर हो मतदान, वीडियोग्राफी और लाइव टेलीकास्ट किया जाए, शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हो, शाम 5 बजे तक पूरा होगा मतदान और एमपी व कर्नाटक के डीजीपी को सुनिश्चित करना चाहिए कि सत्र की व्यवस्था से 16 विधायकों पर कोई प्रतिबंध ना हों. अगर वे आना चाहते हैं तो सुरक्षा दी जाए.
 


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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने भरोसा जताया कि कमलनाथ सरकार बहुमत साबित करेगी. उन्होंने NDTV से बात करते हुए कहा कि हमारे विधायक आखिर में हमारे साथ होंगे. वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जिसके पास बहुमत होगा वह जीतेगा. अगर कमलनाथ के पास बहुमत नहीं होगा तो वह हारेंगे, जिनके पास नंबर होगा उनकी सरकार बनेगी.

न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने सदन में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के शक्ति परीक्षण की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कराने और संभव हो तो इसका सीधा प्रसारण करने का भी निर्देश दिया. पीठ ने मध्यप्रदेश और कर्नाटक के पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया कि अगर कांग्रेस के 16 बागी विधायक विधानसभा में शक्ति परीक्षण की कार्यवाही में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करें तो उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान की जाए. पीठ ने यह भी आदेश दिया कि सदन की कार्यवाही के लिए सिर्फ शक्ति परीक्षण ही विषय होगा और इसमें किसी के लिए भी कोई बाधा नहीं डाली जाएगी. शीर्ष अदालत ने राज्य विधानसभा के सचिव को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि वहां किसी प्रकार की कानून व्यवस्था की समस्या नहीं हो. 

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