मध्यप्रदेश कांग्रेस में मचे घमासान के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने CM कमलनाथ को दिया यह 'संदेश'

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने संवाददाताओं से कहा, 'सभी पक्षों को सुनने के बाद पार्टी के भीतर मतभेदों को हल करना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है.'

मध्यप्रदेश कांग्रेस में मचे घमासान के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने CM कमलनाथ को दिया यह 'संदेश'

कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मतभेदों को सुलझाना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी.

खास बातें

  • कमलनाथ दोनों पक्षों की बात सुनें: सिंधिया
  • 'मतभेदों को सुलझाना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी'
  • 'किसी का हस्तक्षेप सरकार में नहीं होना चाहिए'
नई दिल्ली:

मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी में मचे घमासान के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम लिए बगैर कहा कि जो आरोप लगाए गए हैं, वह गंभीर है, और मुख्यमंत्री को दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए. ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने संवाददाताओं से कहा, 'सभी पक्षों को सुनने के बाद पार्टी के भीतर मतभेदों को हल करना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है.' संवाददाताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) और वन मंत्री उमंग सिंघार के बीच पैदा हुए विवाद को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) को बैठकर इस विषय पर दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए, और समाधान निकालना चाहिए. बहुत मुश्किल और मेहनत से हम लोगों ने 15 साल कड़ी मेहनत कर कांग्रेस का शासन स्थापित किया है. अभी छह माह भी नहीं हुए और मतभेद उठ रहे हैं तो मुख्यमंत्री का दायित्व होता है कि दोनों पक्षों के साथ बैठकर सलाह-मशविरा करें और समाधान निकालें.'

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ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) से जब संवाददाताओं ने सिंघार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री सिंह पर लगाए गए आरोपों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'आरोप गंभीर हैं और इस पर जरूर दोनों पक्षों को बैठाकर बात होनी चाहिए. सरकार को अपने दम और आधार पर चलना चाहिए, किसी का हस्तक्षेप सरकार में नहीं होना चाहिए. इसमें कोई दो राय नहीं है.' उन्होंने आगे कहा, 'सरकार को स्वतंत्र होकर कार्य करना चाहिए. जो मुद्दे आए हैं, उस पर मुख्यमंत्री को मंत्री उमंग सिंघार की भी बात सुननी चाहिए और जो सत्य है उसपर भी कार्रवाई होनी चाहिए.'

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बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मंत्रियों को पत्र लिखकर मुलाकात का समय मांगा था, जो वायरल हो गया था. इससे वन मंत्री सिंघार नाराज थे. इसके बाद उन्होंने दिग्विजय पर शराब कारोबारियों, अवैध खनन करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था. इस पर राज्य सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने सिंघार को आड़े हाथों लिया था. मामले के तूल पकड़ने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हस्तक्षेप किया था. मुख्यमंत्री से सिंघार की मंगलवार रात मुलाकात हुई.

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सूत्रों के अनुसार, मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने सिंघार को हिदायत दी. सिंघार बुधवार दोपहर मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा कि उनकी 'मुख्यमंत्री कमलनाथ व प्रदेश प्रभारी बावरिया से बात हो गई है. उनके सामने अपनी बात रख दी है, अब उन्हें कुछ नहीं कहना है.'

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इस बीच, भोपाल में वनमंत्री उमंग सिंघार के घर के बाहर उनका ही पुतला जलाया गया, पुतला जलाने वाले कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने कहा कि जबतक उमंग सिंघार दिग्विजय सिंह से माफी नहीं मांगेगे वो उनका विरोध करते रहेंगे. इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान आया कहा सरकार में बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये. सरकार को स्वतंत्र होकर काम करना चाहिये, जो मुद्दे आए हैं मुख्यमंत्री को उमंग जी की बात सुनना चाहिये जो सत्य है उसपर कार्य होना चाहिये. दिग्विजय सिंह जी से भी बात की जानी चाहिये.

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक ऐंदल सिंह कंषाना ने उमंग सिंघार को बर्खास्त करने की मांग कर दी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसे बयान देने वाले मंत्रियों पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिये. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने सरकार बनाई, सरकार बनाने में सबसे बड़ा योगदान दिग्विजय सिंह का ही रहा उनका जीवन बेदाग है. उन्होंने मांग की मुख्यमंत्री उमंग सिंघार, गोविंद सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी प्रद्युम्न सिंह तोमर को बर्खास्त करें. इनमें से लगभग सारे नाम सिंधिया सर्मथकों के हैं.

जवाब दूसरे गुट से भी आया सिंधिया समर्थक परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत ने भी दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार में दिग्विजय सिंह को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. वह मंत्रियों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं और स्वतंत्रता से काम नहीं करने दे रहे हैं. वहीं श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ने कहा जनता ने बीजेपी के नारे माफ करो महाराज को नकारते हुए प्रदेश में कांग्रेस को बहुमत दिया और सरकार बनाई. दिग्विजय सिंह जी उस समय कहां थे जब कांग्रेसी सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे.

वहीं जबलपुर से कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया ने दिग्विजय का पक्ष लेते हुए कहा कि उन्होंने मंत्रियों को पत्र लिखकर कोई गलत काम नहीं किया वह बड़े नेता हैं किसी भी मंत्री से जवाब सवाल कर सकते हैं. वहीं अलीराजपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेश पटेल ने उमंग सिंघार को बीजेपी का दलाल बताते दिया. धार से विधायक हीरालाल अलावा ने भी सरकार के प्रति असंतोष प्रकट किया है. अलावा ने कहा कि सरकार आदिवासियों के हितों की रक्षा नहीं कर रही है, तो निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने भी स्पष्ट तौर पर कहा कि इस सरकार में हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं है.

उधर बीजेपी कांग्रेस के खींचतान पर ठहाके लगा रही है. बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक ही काम है अपने संगठन की फजीहत करना जो वो कर रहे हैं, सिंधिया हो, दिग्विजय हों, उमंग सिंघार हो और खुद कमलनाथ के लोग कोई पीछे नहीं चल रहा है, एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में इससे खराब दिन हमने किसी पार्टी के नहीं देखे. 

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