जस्टिस एन वी रमना शनिवार को देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश बने. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. बताते चलें कि जस्टिस रमना का CJI के रूप में एक साल और चार महीने का कार्यकाल होगा, वह 26 अगस्त 2022 तक इस पद पर बने रहेंगे. इससे पहले पूर्व CJI एसएस बोबड़े कल 23 अप्रैल को रिटायर हुए. उन्होंने ही अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस रमना के नाम की अनुशंसा की थी. जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश के कृषि परिवार से संबंध रखते हैं. वह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने वाले आंध्र प्रदेश से दूसरे जज हैं. उनसे पहले 1966 से 1967 तक जस्टिस के सुब्बा राव इस पद को संभाल चुके हैं. जस्टिस सुब्बा राव नौवें CJI थे.
जस्टिस एनवी रमना का जन्म आंध्र प्रदेश के पोन्नावरम गांव में 27 अगस्त 1957 को एक कृषि परिवार में हुआ था. उन्होंने अपना स्नातक साइंस और लॉ से पूरा किया था और फिर एक स्थानीय अखबार के लिए दो साल तक पत्रकार के तौर पर काम किया था. 10 फरवरी 1983 को उन्होंने बार में वकील के तौर पर अपना नाम दर्ज कराया. जस्टिस रमना अपने परिवार में पहले वकील रहे. उन्हें जून 2000 में एपी उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.
जस्टिस रमना को फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज बनने से पहले दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं. जस्टिस रमना की बेंच ने जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंधों पर फैसला दिया था कि इंटरनेट के निलंबन को तुरंत समीक्षा करनी चाहिए. जिसके बाद सरकार ने प्रतिबंध हटा दिया. जस्टिस रमना उस पांच जजों की बेंच का हिस्सा थे, जिसने कहा था कि CJI ऑफिस RTI के तहत आएगा, उनका कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक होगा.
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