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This Article is From May 11, 2017

सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जस्टिस कर्णन, चीफ जस्टिस ने कहा- याचिका पर विचार करेंगे

सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जस्टिस कर्णन, चीफ जस्टिस ने कहा- याचिका पर विचार करेंगे
जस्टिस कर्णन को अवमानना का दोषी ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने कैद की सजा सुनाई है. (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: कोर्ट की अवमानना के दोषी ठहराए गए कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जस्टिस कर्णन ने गत नौ मई को सात सदस्यीय पीठ द्वारा दिए फैसले पर रोक लगाने और आदेश को वापस लेने की गुहार लगाई है.

पीठ ने जस्टिस कर्णन को अवमानना का दोषी ठहराते हुए छह महीने कैद की सजा सुनाई है. वहीं, CJI ने वकील से पूछा कि जस्टिस कर्णन कहां हैं तो वकील ने जवाब दिया कि वो चेन्नई में हैं. जस्टिस कर्णन ने न्यायालय की अवमानना अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती. संविधान के तहत हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के अधीन नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की तरह हाईकोर्ट भी अपने आप में स्वतंत्र है. यह अलग बात है कि हाईकोर्ट के न्यायिक फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.

जस्टिस कर्णन का कहना कि आठ फरवरी को उनके खिलाफ जारी नोटिस से लेकर नौ मई तक के तमाम आदेश संवैधानिक और शून्य हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि बिना उनकी उपस्थिति में नौ मई का आदेश पारित किया गया.. ऐसे में कानून की नजरों में उसकी कोई अहमियत नहीं है. यह 'प्रिसिंपल ऑफ नेचुरल जस्टिस' के खिलाफ है. 

गुरुवार को ट्रिपल तलाक पर सुनवाई कर रही पीठ के समक्ष एक वकील ने जस्टिस कर्णन की याचिका का उल्लेख किया. इस पर चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने वकील से पूछा कि जस्टिस कर्णन कहां हैं? जवाब में वकील ने बताया कि बुधवार को चेन्नई में उन्हें जस्टिस कर्णन द्वारा हस्ताक्षरित अदालती दस्तावेज मिला है. इस चीफ जस्टिस ने कहा कि यह वह पीठ नहीं है, जिसने नौ मई को आदेश पारित किया था.

इससे पहले चीफ जस्टिस ने वकील से पूछा कि आखिर वह किस हैसियत से आए हैं. वकील ने जवाब दिया कि जस्टिस कर्णन ने मुझे पावर ऑफ अटॉर्नी दी है. इस पर पीठ ने सवाल किया अगर जस्टिस कर्णन की खोज खबर नहीं है तो उन्होंने याचिका पर हस्ताक्षर कैसे किए. हालांकि चीफ जस्टिस ने कहा कि हम याचिका पर विचार करेंगे. वकील ने यह भी बताया कि जस्टिस कर्णन की याचिका पर कई एडवोकेट ने ऑन रिकॉर्ड हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, जिससे जस्टिस कर्णन को याचिका दायर करने में परेशानी हुई.

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