सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस कुरियन जोसेफ
नई दिल्ली:
हाल में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए पूर्व जस्टिस कुरियन जोसफ ने 12 जनवरी को किए गए ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर शुक्रवार को एक कार्यक्रम में बेबाक राय रखी. सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्ति के एक दिन बाद रिटायर जस्टिस कुरियन जोसेफ (Kurian Joseph) ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें 12 जनवरी के विवादित प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर कोई पछतावा नहीं है जिसमें उन्होंने तथा तीन अन्य न्यायाधीशों ने शीर्ष अदालत के कामकाज को लेकर विभिन्न मुद्दे उठाए थे. हालांकि, कुरियन जोसेफ ने कहा कि अब चीजें बदल रही हैं.
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12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा किए गये प्रेस कॉन्फ्रेंस पर पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि 'मुझे कोई पछतावा नहीं है. मैंने बहुत सोच समझकर ऐसा किया, क्योंकि कोई और रास्ता नहीं बचा था. मैं नहीं कह सकता कि संकट खत्म हो गया है. यह एक सांस्थानिक संकट था और सिस्मट को बदलने में समय लगता है. हालांकि, यह बदल रहा है और यह आगे भी जारी रहेगा.'
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जोसेफ ने कहा कि जहां तक शीर्ष अदालत की बात है तो उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्तियों और स्थानान्तरण से जुड़े ‘मैमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर' (एमओपी) अंतिम रूप में है और कॉलेजियम मसौदे के अनुसार काम कर रहा है. उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की जब सरकार का कहना है कि एमओपी पर काम चल रहा है और इसे शीर्ष अदालत की सलाह से तैयार किया जा रहा है. जोसेफ ने कहा, ‘जहां तक उच्चतम न्यायालय की बात है तो यह (एमओपी) अंतिम रूप में है, जहां तक सरकार की बात है तो यह अंतिम रूप में नहीं है.'
दरअसल, यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें 12 जनवरी के संवाददाता सम्मेलन का हिस्सा होने का पछतावा है, उन्होंने जवाब दिया, ‘आप किस तरह का अजीब सवाल पूछ रहे हैं? मैंने जो कुछ किया मुझे उसका कोई पछतावा नहीं है, मैंने बहुत सोच समझकर एक उद्देश्य से ऐसा किया, ऐसा उद्देश्य जिसके लिए कोई और रास्ता नहीं बचा था. जब हमने ऐसा किया तब यही स्थिति थी.'
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पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय में कोई भ्रष्टाचार नहीं है. मैंने यह कभी नहीं किया. मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुन.'' यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, उन्होंने कहा, ‘मैं इस आम राय से सहमत नहीं हूं कि समाज में भ्रष्टाचार है लेकिन मैं इस बात को मानता हूं कि लोगों में कुछ निचले स्तरों पर भ्रष्टाचार को लेकर कुछ नजरिया है.' पूर्व न्यायाधीश जोसफ ने कहा कि अगर पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद सरकार द्वारा कोई पद ‘उपकार स्वरूप' (चैरिटी) दिया जाता है तो उन्हें इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद केवल उस स्थिति में पद संभालना चाहिए जब सरकार द्वारा उनसे न्यायाधिकरण की जिम्मेदारी संभालने के लिए ‘सम्मानपूर्वक आग्रह' किया जाए.
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12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा किए गये प्रेस कॉन्फ्रेंस पर पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि 'मुझे कोई पछतावा नहीं है. मैंने बहुत सोच समझकर ऐसा किया, क्योंकि कोई और रास्ता नहीं बचा था. मैं नहीं कह सकता कि संकट खत्म हो गया है. यह एक सांस्थानिक संकट था और सिस्मट को बदलने में समय लगता है. हालांकि, यह बदल रहा है और यह आगे भी जारी रहेगा.'
जोसफ ने कहा कि शीर्ष अदालत की व्यवस्थाओं और परंपराओं में बदलाव आने में समय लगेगा क्योंकि वे लंबे वक्त से मौजूद हैं. जोसफ ने अब प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकूर और पूर्व न्यायाधीश जे चेलामेश्वर के साथ मिलकर एक संवाददाता सम्मेलन किया था जिसमें शीर्ष अदालत में मामलों के आवंटन सहित गंभीर प्रश्न उठाए थे।. उन्होंने कहा कि किसी न्यायाधीश द्वारा न्यायिक शक्तियों के इस्तेमाल पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं होता. उन्होंने कहा कि जिस तरह से नियुक्तियों में ‘चुनिंदा तरीके से देरी की जा रही है या इन्हें रोककर रखा जा रहा है' वह ‘एक तरीके से' न्याय में ‘हस्तक्षेप' है.Justice (Retd) K Joseph on press conference by 4 SC Judges on Jan 12: I don't regret it. I did it consciously as no option was left. I can't say that crisis is over. It was an institutional crisis&it takes time for system to change. It's changing&process will continue. (30.11) pic.twitter.com/UuicqjUVu7
— ANI (@ANI) December 1, 2018
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जोसेफ ने कहा कि जहां तक शीर्ष अदालत की बात है तो उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्तियों और स्थानान्तरण से जुड़े ‘मैमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर' (एमओपी) अंतिम रूप में है और कॉलेजियम मसौदे के अनुसार काम कर रहा है. उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की जब सरकार का कहना है कि एमओपी पर काम चल रहा है और इसे शीर्ष अदालत की सलाह से तैयार किया जा रहा है. जोसेफ ने कहा, ‘जहां तक उच्चतम न्यायालय की बात है तो यह (एमओपी) अंतिम रूप में है, जहां तक सरकार की बात है तो यह अंतिम रूप में नहीं है.'
दरअसल, यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें 12 जनवरी के संवाददाता सम्मेलन का हिस्सा होने का पछतावा है, उन्होंने जवाब दिया, ‘आप किस तरह का अजीब सवाल पूछ रहे हैं? मैंने जो कुछ किया मुझे उसका कोई पछतावा नहीं है, मैंने बहुत सोच समझकर एक उद्देश्य से ऐसा किया, ऐसा उद्देश्य जिसके लिए कोई और रास्ता नहीं बचा था. जब हमने ऐसा किया तब यही स्थिति थी.'
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पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय में कोई भ्रष्टाचार नहीं है. मैंने यह कभी नहीं किया. मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुन.'' यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, उन्होंने कहा, ‘मैं इस आम राय से सहमत नहीं हूं कि समाज में भ्रष्टाचार है लेकिन मैं इस बात को मानता हूं कि लोगों में कुछ निचले स्तरों पर भ्रष्टाचार को लेकर कुछ नजरिया है.' पूर्व न्यायाधीश जोसफ ने कहा कि अगर पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद सरकार द्वारा कोई पद ‘उपकार स्वरूप' (चैरिटी) दिया जाता है तो उन्हें इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद केवल उस स्थिति में पद संभालना चाहिए जब सरकार द्वारा उनसे न्यायाधिकरण की जिम्मेदारी संभालने के लिए ‘सम्मानपूर्वक आग्रह' किया जाए.
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