दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम. जे. अकबर द्वारा दायर मानहानि के मामले में सोमवार को पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दे दी. 'मी टू' अभियान के दौरान रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाया था. इस पर अकबर ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसमें रमानी को बतौर आरोपी समन किया गया था. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने 10,000 रुपये के मुचलके पर रमानी के जमानत दे दी. अदालत ने पाया कि अकबर के खिलाफ लगाए गए आरोप पहली नजर में मानहानि कारक हैं और उन्होंने सभी आरोपों को ‘‘फर्जी तथा मनगढ़ंत'' बताया है. इसके बाद अदालत ने रमानी को अपने समक्ष पेश होने को कहा था.
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प्रिया रमानी का आरोप है कि 20 साल पहले जब अकबर पत्रकार थे तब उन्होंने रमानी का यौन शोषण किया था। हालांकि पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने आरोपों से इनकार किया है. अकबर पर अन्य कई महिलाओं ने भी आरोप लगाए हैं. भारत में पिछले साल ‘मी टू' अभियान ने जब जोर पकड़ा तब अकबर का नाम सोशल मीडिया में आया. उन दिनों वह नाइजीरिया में थे. फिर उन्होंने 17 अक्तूबर को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था. आपको बता दें कि पत्रकार एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वालों में अमेरिका की रहने वाली पत्रकार भी शामिल हैं, जिन्होंने कहा था कि 23 साल पहले जयपुर के होटल में एमजे अकबर ने उनका यौन शोषण किया था. जब केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने कहा कि उनका संबंध एक सहमति का मामला रहा तो जवाब में पत्रकार ने कहा था कि संबंध जबरदस्ती और सत्ता के दुरुपयोग पर आधारित रहा. उसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता.
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कई महिलाओं की ओर से यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के कारण एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी कार्रवाई करते हुए उन्हें संस्था की सदस्यता से बाहर कर दिया. कहा कि जब तक मानहानि का मामला निष्कर्ष तक नहीं पहुंचता, तब तक वह सदस्य नहीं रहेंगे.
वीडियो- एमजे अकबर पर अब रेप का लगा आरोप
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