मुंबई में 27 जुलाई 1960 को जन्मे उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की स्कूली शिक्षा मुंबई के दादर में स्थित बाल मोहन विद्या मंदिर स्कूल में हुई. मुंबई विश्वविद्यालय सर जमशेदजी जीजीभाय स्कूल ऑफ आर्ट से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की. प्रखर हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी शिवसेना के प्रमुख और पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे के बेटे उद्धव सन 2002 से राजनीति में सक्रिय हैं. राजनीति की पारी शुरू करने से पहले वे मराठी दैनिक हिंदू में पत्रकार थे. राजनीति की पारी शुरू करने के बाद उद्धव की सक्रियता से शिवसेना ने सन 2002 में बीएमसी चुनावों में शानदार जीत हासिल की. इसके बाद जनवरी 2003 में उन्हें शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया.
मराठी चंद्रसेन कायस्थ प्रभु समुदाय से आने वाले उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को पुस्तकें पढ़ने और फोटो फ़ोटोग्राफ़ी करने का शौक है. शिवसेना के संस्थापक बाल केशव ठाकरे यानी बाल ठाकरे मूल रूप से मध्यप्रदेश के मराठी भाषी थे और मुंबई में आकर बस गए थे. बाल ठाकरे की जीवनी 'हिंदू हृदय सम्राट- हाऊ द शिवसेना चेंज्ड मुंबई फॉर एवर' की लेखिका सुजाता आनंदन के अनुसार "ठाकरे के पिता केशव ठाकरे 'वेनिटी फ़ेयर' पुस्तक के अंग्रेजी लेखक विलियम मेकपीस ठेकरे के मुरीद हुआ करते थे. उन्होंने उनसे प्रेरणा लेकर अपना पारिवारिक नाम ठैकरे रख लिया जो बाद में बदलकर ठाकरे हो गया."
बाला साहब ठाकरे और मीना ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के परिवार में उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे और दो बेटे आदित्य ठाकरे और तेजस ठाकरे हैं. इनमें से आदित्य ठाकरे युवा सेना के अध्यक्ष हैं और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में एमएलए चुने गए हैं. दूसरे बेटे तेजस के बारे में कहा जाता है कि वे अमेरिका में कॉलेज में पढ़ रहे हैं. वे अपने पिता और बड़े भाई की तुलना में प्रचार और जनसम्पर्क से दूर ही रहते हैं. उद्धव ठाकरे के बड़े भाई जयदेव ठाकरे हैं. उनके एक अन्य बड़े भाई बिंदुमाधव ठाकरे का सन 1996 में सड़क हादसे में निधन हो गया था. करीब 40 करोड़ की संपत्ति के मालिक उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे हैं, जिन्होंने सन 2006 में शिवसेना से नाता तोड़ दिया था और अपनी खुद की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया था.
जुलाई 2012 में अस्वस्थ होने पर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को मुंबई की लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वहां उनकी एंजियोप्लास्टी की गई थी. फोटोग्राफी के शौकीन उद्धव ठाकरे की दो फोटो पुस्तकें सन 2010 में 'महाराष्ट्र देश' और सन 2011 में 'पहवा विट्ठल' प्रकाशित हो चुकी हैं. इन पुस्तकों में शामिल फोटो उन्होंने पंढरपुर की यात्रा के दौरान लिए थे.
शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे के भाई श्रीकांत के पुत्र राज ठाकरे अपने चाचा के पदचिन्हों पर चलने वाले ठाकरे परिवार के पहले नेता हैं. राज बचपन से ही चाचा बाल ठाकरे के चहेते थे. बाल ठाकरे बचपन से ही राज को अपने साथ राजनैतिक रैलियों में ले जाने लगे थे. उनके राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के बाद यही माना जाता रहा कि शिवसेना का भविष्य राज के हाथों में ही होगा. लेकिन समय के साथ स्थितियां बदलीं और शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के हाथ में आ गई. इसके बाद राज ठाकरे ने शिवसेना से नाता तोड़ लिया और अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बना ली.
सन 1994 तक उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) का राजनीति से कोई संबंध नहीं था. राजनीति में उनकी बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी. दूसरी तरफ उनकी मां मीना ठाकरे की इच्छा थी कि उनका कम से कम एक बेटा राजनीति में बाला साहब के साथ आगे आए. बाल ठाकरे के बेटे जयदेव से उनके संबंध खराब थे. सबसे बड़े बेटे बिंदुमाधव का सन 1996 में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया. मां मीना ठाकरे के कहने पर उद्धव पार्टी के कार्यक्रमों में जाने लगे. सन 1994 में वे पहली बार किसी कार्यक्रम में दिखे.
उद्धव धीरे-धीरे पार्टी में अपनी पकड़ बनाने लगे. बाल ठाकरे भी उनको तरजीह देने लगे. उद्धव ने सन 1997 के बीएमसी चुनाव में टिकट अपनी मंशा के मुताबिक बांटे. राज ठाकरे के कई समर्थकों के टिकट काट दिए गए. शिवसेना बीएमसी चुनाव जीत गई और उद्धव का प्रभाव बढ़ गया.
इसके बाद सन 2002 के बीएमसी के चुनाव में भी उद्धव के नेतृत्व में शिवसेना जीती. इसी साल शिरडी में हुए अधिवेशन में उद्धव मीडिया के सामने खुलकर सामने आए. सन 2002 तक उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों ही शिवसेना के नेता थे. सन 2003 में महाबलेश्वर में शिवसेना के अधिवेशन में पार्टी के अगला अध्यक्ष का फैसला होना था. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नाम का प्रस्ताव राज ठाकरे लाए और उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत कर दिया गया.
इसके बाद सन 2004 के विधानसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव के लिए भी टिकट उद्धव ने बांटे. हालांकि शिवसेना को चुनाव में हार मिली. शिवसेना में गुटबाजी सामने आने लगी. सन 2005 में पार्टी के नेता नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ दी. वे अपने साथ 12 विधायकों को कांग्रेस में ले गए. उद्धव ठाकरे को इसके बाद एक नई चुनौती का सामना तब करना पड़ा जब सन 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी. हालांकि तमाम चुनौतियों के बावजूद शिवसेना ने सन 2007 में बीएमसी का चुनाव जीत लिया.
सन 2012 में बाल ठाकरे का निधन हो गया. इसके बाद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बीजेपी से दोस्ती गहरी करने की कोशिशें शुरू कर दीं. सन 2014 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना को इसका फायदा मिला. शिवसेना अपने इतिहास में सबसे ज्यादा 19 लोकसभा सीटें जीत गई. शिवसेना को केंद्र में मंत्री का एक पद दिया गया. सन 2019 में बीजेपी और शिवसेना अलग-अलग चुना लड़ीं. बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिलीं.
ठाकरे परिवार और शरद पवार के परिवार के बीच राजनीति से इतर मित्रता पुरानी है. बाल ठाकरे एनसीपी नेता शरद पवार को 'आटे की बोरी' कहकर उनका मजाक उड़ाते थे और उनको सपरिवार अपने घर पर रात्रि भोज पर आमंत्रित भी करते थे. अब वह पहला मौका आया है जब शिवसेना शरद पवार की पार्टी एनसीपी के साथ गठबंधन करके महाराष्ट्र में सरकार बना रही है.
VIDEO : उद्धव ठाकरे की ताजपोशी गुरुवार को
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