यह पहली बार होगा जब बीजेपी सुदेश महतो के आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के बिना झारखंड का विधानसभा चुनाव लड़ेगी. जहां तक आंकड़ों का सवाल है तो सन 2000 में झारखंड नया राज्य बना तब भारतीय जनता पार्टी और आजसू गठबंधन एक साथ आए थे. उस समय सुदेश महतो अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक थे, लेकिन उन्हें एक साथ कई मंत्रालय मिले थे. सन 2005 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 63 सीटों पर लड़ी थी और तीस सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. वहीं आजसू 40 सीटों पर लड़ी और जीती मात्र दो सीटों पर. इस चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच कई सीटों पर दोस्ताना संघर्ष हुआ था. चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था.
इसके बाद सन 2009 में अगला विधानसभा चुनाव हुआ जिसमें दोनों दलों के बीच पूर्ण तालमेल का अभाव दिखा. इस चुनाव में भाजपा 67 सीटों पर लड़ी और 18 सीटें जीतीं. जबकि आजसू 54 सीटों पर लड़ी और पांच सीटें जीत सकी.
इसके बाद के साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 72 सीटों पर लड़ी और उसने 37 सीटों पर जीत हासिल की.आजसू आठ सीटों पर लड़ी और पांच सीटें जीतीं.
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झारखंड के हर चुनाव में आजसू के वोटों का प्रतिशत तीन प्रतिशत से अधिक रहा. बीजेपी और आजसू का पिछले चुनाव में पूरा गठबंधन था. इसके पहले कुछ सीटों पर तालमेल और बाकी सीटों पर दोस्ताना संघर्ष होता रहा. यानी सिर्फ 2014 के चुनाव में एक बार ही दोनों दलों का चुनावी तालमेल हुआ. पूर्व के सभी चुनाव उन्होंने अलग-अलग लड़े.
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झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने आज कहा कि तालमेल और गठबंधन का फैसला राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है और वहीं से इसकी घोषणा होगी.
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