सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग की यूनीक आईडी (Hallmarking Unique ID) यानी HUID को लेकर ज्वेलर्स खुलकर विरोध में उतर आए हैं. आज ज्वेलर्स पूरे देश में एक दिन की हड़ताल कर रहे हैं. ज्वेलर्स का कहना है कि हॉलमार्क तो ठीक है लेकिन HUID किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है. ज्वेलर्स की नेशनल टास्क फोर्स ने बयान जारी कर कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा देश में हॉल मार्किंग प्रक्रिया को मनमाने ढंग से अनिवार्य रूप से लागू करने के विरोध में आभूषण विक्रेता (ज्वेलर्स) सोमवार 23 अगस्त 2021 को सांकेतिक हड़ताल पर जाएंगे.
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आखिर क्या है HUID?
HUID का मतलब है हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन. ये एक 6 डिजिट का अल्फान्यूमेरिक कोड है जो हर ज्वेलरी पीस पर लगाया जाता है जिससे उसकी एक अलग पहचान बनाई जा सके. जैसे भारत मैं हर व्यक्ति का अलग-अलग आधार नंबर होता है उसी तरह से हर ज्वेलरी पीस का HUID होता है. 16 जून से देश के 256 जिलों में हॉल मार्क ज्वेलरी बेचना ही अनिवार्य कर दी गई. लेकिन इसके साथ ही HUID की भी एंट्री हो गई. HUID में ज्वेलरी पीस की सारी जानकारी होगी जैसे कि उसका निर्माता कौन है, उसका वजन क्या है, जेवर क्या है? किसको बेची गई आदि.
HUID का क्यों विरोध
1. ज्वेलरी ट्रैकिंग- ज्वेलर्स के मुताबिक अब वो जब भी जितने भी ज्वेलरी पीस बेचेंगे, उनको बाकायदा हर पीस की HUID डिटेल और यह किसको बेचा गया, ये तमाम जानकारी BIS के पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. ज्वेलर्स का कहना है कि इससे ज्वेलर्स की तो ट्रैकिंग होगी ही साथ ही कस्टमर की भी ट्रैकिंग होगी जिससे ग्राहक की निजता खतरे में पड़ सकती है.
2. हॉलमार्किंग में देरी- देश के जिन 256 जिलों में अनिवार्य हॉल मार्किंग लागू हो गई है वहां केवल हॉलमार्क ज्वेलरी ही बेची जा सकती. इसमें भी HUID का प्रावधान लग जाने से हॉलमार्किंग में समय लग रहा है जिसकी वजह से व्यापार ठप हो गया है. ज्वेलर्स बताते हैं पहले जहां उसी दिन हॉल मार्क हो जाया करता था वही अब 5 से 10 दिन का भी समय लग जा रहा है
3. हॉलमार्क सेंटर की जिम्मेदारी नहीं- ज्वेलर्स का कहना है कि जब सरकार ने आधिकारिक रूप से हॉलमार्क सेंटर बनाए हैं जहां पर निश्चित रकम देकर ज्वेलरी को हॉलमार्क करवाया जा सकता है. तो फिर कल को अगर ज्वेलरी की गुणवत्ता में कोई कमी निकलती है तो जिम्मेदारी हॉलमार्क सेंटर की जगह ज्वेलर की क्यों रखी गई है?
4. ज्वेलरी नुकसान का जिम्मेदार कौन?- ज्वेलर्स का कहना है कि हॉलमार्क सेंटर पर ज्वेलरी को हॉल मार्क कराने के दौरान जो टूट-फूट हो रही है, जेवर की फिनिशिंग खराब हो रही है या फिर जेवर का वजन घट रहा है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
5. जेवर में बदलाव (अल्टरेशन) नहीं- क्योंकि हर ज्वेलरी पीस का HUID तय होगा. जिसमें हर ज्वेलरी पीस का वजन, मेकिंग या कॉम्बिनेशन तय होगा तो ऐसे में अगर ग्राहक अपनी मर्जी से किसी जेवर में बदलाव करवाना चाहें या दो अलग-अलग ज़ेवर से कोई कंबीनेशन बनाना चाहे तो ज्वेलर्स के पास केवल 2 ग्राम तक का alteration करने की ही छूट होगी. इससे ऊपर होने पर तुरंत ज्वेलर ग्राहक को ज्वेलरी नहीं दे पाएगा. ज्वैलर को पहले उसको फिर से HUID बनवाने के लिए भेजना होगा. उसके बाद ही ग्राहक को उसका पसंदीदा जेवर मिल सकेगा.
HUID पर क्या कह रहे हैं ज्वेलर्स?
हॉलमार्क ज्वेलर्स की बनाई नेशनल ट्रांसपोर्ट के सदस्य अशोक मीनावाला के मुताबिक ' हम हॉल मार्किंग का स्वागत करते हैं लेकिन HUID हॉलमार्किंग यूनिक आईडी का नहीं. HUID एक विनाशकारी प्रक्रिया है जो वर्तमान अनिवार्य हॉलमार्किंग प्रक्रिया में आभूषणों को कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करती है पंजीकरण रद्द करने, दंडात्मक प्रावधान, तलाशी और जब्ती का तत्व अंततः उद्योग में इंस्पेक्टर राज लाएगा.
उन्होंने कहा 'HUID ग्राहकों के हित के खिलाफ है और व्यापार करने में आसानी के सिद्धांत के विपरीत है. HUID प्रक्रिया बोझिल है और इससे ग्राहकों और छोटे- लघु ज्वेलर्स को परेशानी होगी. यह कानून के अनुसार भी अवैध है क्योंकि यह प्रक्रिया व्यक्तिगत नागरिकों की डेटा गोपनीयता और व्यवसाय गोपनीयता में हस्तक्षेप करती है. ज्वेलर्स को लगता है कि BIS में पंजीकरण कराकर उन्होंने घाटे और आजीविका के नुकसान के मामले में अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर किए हैं'.
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टास्क फोर्स के सदस्य और जेम्स एंड ज्वेलरी काउंसिल के निदेशक दिनेश जैन के मुताबिक ' 16 जून 2021 से 256 जिलों में हॉल मार्किंग अनिवार्य कर दी गई है और अनुमान है कि भारत में सालाना लगभग 10 से 12 करोड़ ज्वेलरी पीस का निर्माण होता है. इसके अलावा लगभग 6 से 7 करोड़ ज्वेलरी पीस के मौजूदा स्टॉक की भी हॉलमार्किंग होनी बाकी है.
इस प्रकार 1 वर्ष में हॉलमार्क किए जाने वाले ज्वेलरी पीस की कुल संख्या लगभग 16 से 18 करोड़ तक पहुंच जाती है और हॉलमार्किंग केंद्रों की वर्तमान गति या क्षमता लगभग 2 लाख पीस प्रतिदिन है. इस गति से इस वर्ष के उत्पादन को चिन्हित करने में लगभग 800 से 900 दिन या 3 से 4 वर्ष के बराबर समय लगेगा.
वर्तमान में नई मार्किंग प्रणाली यानी HUID को उत्पादों को हॉलमार्क करने में लगभग 5-10 दिन का समय लग रहा है जिसके परिणाम स्वरूप पूरी बाधा उत्पन्न हो गई है और उद्योग ठप हो गया है'
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