पटना:
बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के उपवास से न केवल दूरी बनाए हुए है, बल्कि 2014 के आम चुनाव में उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किए जाने के खिलाफ आवाज बुलंद की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हालांकि मीडिया के बार-बार प्रयास के बावजूद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बारे में स्वयं कुछ भी कहने से अब तक बचते रहे हैं। बिहार जद-यू के अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने रविवार को कहा, "मोदी के उपवास से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रदर्शन है, राजग का नहीं।" सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने राष्ट्रव्यापी स्वीकार्यता और लोकप्रियता हासिल की है। मोदी को भविष्य के प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तावित किए जाने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा, "जहां तक विकास, सद्भावना और बेहतरी के लिए परिवर्तन लाने का सवाल है, नीतीश कुमार शीर्ष पर हैं। नीतीश मॉडल की देश में और बाहर चर्चा होती है।" एक अन्य जद-यू नेता शिवानंद तिवारी मोदी की छवि पर सीधा प्रश्नचिह्न् लगाते हुए कहते हैं कि एक व्यक्ति जो अपने राज्य के लोगों के साथ 'राजधर्म निभाने में विफल' रहा हो, वह देश के 125 करोड़ लोगों के साथ राजधर्म निभाएगा, यह संभव नहीं लगता। तिवारी ने कहा, "मोदी गुजरात में 2002 के दंगे में राजधर्म निभाने में विफल रहे हैं।" उन्होंने कहा कि गुजरात के लोगों के मन में अभी तक असुरक्षा-बोध है। पार्टी के सांसद एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि मोदी राजग के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने रविवार को आईएएनएस से कहा, "मोदी भाजपा के लिए किसी भी पद के उम्मीदवार हो सकते हैं लेकिन राजग के नहीं।" जद-यू सांसद अली अनवर ने कहा कि मोदी राजग का चेहरा नहीं बन सकते। उन्होंने कहा, "भाजपा उन्हें किसी भी रूप में पेश करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन जहां तक राजग का सवाल है, मोदी हमारा चेहरा नहीं हैं।" एक राजनीतिक जानकार ने कहा कि बिहार का जद-यू नीतीश कुमार की सहमति के बिना एक कदम नहीं बढ़ाता है। उन्होंने कहा, "यदि जद-यु के नेता मोदी के खिलाफ बोल रहे हैं तो इसका मतलब है कि वे कुमार का समर्थन कर रहे हैं।" इससे पूर्व, जद-यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि प्रतिदिन देश के 70 से 80 फीसदी लोग भूखे रहते हैं लेकिन उनके बारे में कोई चर्चा नहीं करता। किसी का व्यक्तिगत उपवास राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन जाता है जो अफसोस की बात है। उल्लेखनीय है कि जद-यू हमेशा से राज्य के मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के प्रयास में रहा है। इस दल ने 2009 के लोकसभा और 2010 के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए मोदी के बिहार में आने का कड़ा विरोध किया था।
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