नई दिल्ली:
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने साफ कर दिया है कि वह आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर मुख्यमंत्रियों की दिल्ली में होने वाली बैठक में हिस्सा नहीं लेंगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे खत में उन्होंने साफ कर दिया है कि वह इस बैठक में इसलिए हिस्सा नहीं लेंगी क्योंकि इतनी अहम बैठक में मुख्यमंत्रियों को बोलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया जाता है। उन्हें अपनी बात रखने का समय तक नहीं दिया जाता।
इस खत में जयललिता ने लिखा है कि इस बैठक में वह अपना प्रतिनिधी भेजेंगी जो उनका भाषण पढ़ेगा।
बता दें कि पिछले दिसंबर में इसी प्रकार की एक बैठक में उन्हें 10 मिनट से ज्यादा बोलने पर लाल बत्ती दिखा दी गई थी जिसके बाद वह नाराज होकर बैठक से बाहर आ गई थीं। राष्ट्रीय विकास परिषद की इस बैठक में भी देश के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री हिस्सा ले रहे थे।
अपने खत में इस घटना का उल्लेख करते हुए जयललिता ने लिखा है कि उन्हें 'बेइज्जत' हो अपनी स्पीच समाप्त करने को बाध्य होना पड़ा था।
जयललिता ने आरोप लगाया कि राज्यों से आए नेताओं को इस प्रकार की बैठक में अपना सहयोग देने से रोका जाता है। इससे प्रतीत होता है कि बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्री के रबर स्टाम्प की भांति ही होते हैं जिन्हें पूर्वनिर्धारित बातों पर सहमति देनी होती है।
जयललिता ने बताया कि इस बैठक में भी 12 अहम मुद्दों पर चर्चा होनी जो जिनका मात्र नाम लेने में ही 10 मिनट का समय चला जाएगा। और यही समय राज्यों की सीएम को दिया गया है जो नाकाफी है।
इस खत में जयललिता ने लिखा है कि इस बैठक में वह अपना प्रतिनिधी भेजेंगी जो उनका भाषण पढ़ेगा।
बता दें कि पिछले दिसंबर में इसी प्रकार की एक बैठक में उन्हें 10 मिनट से ज्यादा बोलने पर लाल बत्ती दिखा दी गई थी जिसके बाद वह नाराज होकर बैठक से बाहर आ गई थीं। राष्ट्रीय विकास परिषद की इस बैठक में भी देश के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री हिस्सा ले रहे थे।
अपने खत में इस घटना का उल्लेख करते हुए जयललिता ने लिखा है कि उन्हें 'बेइज्जत' हो अपनी स्पीच समाप्त करने को बाध्य होना पड़ा था।
जयललिता ने आरोप लगाया कि राज्यों से आए नेताओं को इस प्रकार की बैठक में अपना सहयोग देने से रोका जाता है। इससे प्रतीत होता है कि बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्री के रबर स्टाम्प की भांति ही होते हैं जिन्हें पूर्वनिर्धारित बातों पर सहमति देनी होती है।
जयललिता ने बताया कि इस बैठक में भी 12 अहम मुद्दों पर चर्चा होनी जो जिनका मात्र नाम लेने में ही 10 मिनट का समय चला जाएगा। और यही समय राज्यों की सीएम को दिया गया है जो नाकाफी है।
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