रोहतक:
रोहतक के मदीना गांव मे रहने वाली राजवंती के आंसू थम नहीं रहे है। वजह है 19 फरवरी को पुलिस की गोली मे इनके 21 साल के बेटे राहुल की मौत हो गयी थी। रोहित की मां राजवंती कहती है जब बेटे की मौत हुई थी तब एक करोड़ रुपया देने को बोला था फिर बोला कि दस लाख और एक नौकरी देंगे लेकिन अबी तक एक पैसा भी नही आया। वहीं राहुल के पिता रामकुमार कहते हैं, 'अभी तक सरकार की ओर से कोई हाल चाल तक पूछने नहीं आया। ये सरकार तो लगता है जैसे गोरों की सरकार है। ऐसा दर्द कई परिवारों का है जिसने अपनों को खोया है। अब तो फिर से कई इलाकों मे 5 जून से जाट आंदोलन करने की तैयारी में हैं।
रोहतक के जसिया में पंचयात की बैठक हो रही है कि कैसे आंदोलन किया जाए। जाट नेता अशोक बलहारा ने कहा, 'अब भी सरकार के पास वक़्त है, हमारी मांग मान ले नहीं तो हमें कुछ ना कहना। इसी गांव से पांच जून से आंदोलन की शुरुआत होंगी। करीब दस हजार लोग जमा होंगे। जाट न्याय रैली के लिये। हम सरकार को फिर एक बार मोहलत देंगे फिर भी मांग नहीं मानी गई तो इसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी।'
आंदोलन करने को उतारू अब ये आरक्षण तो चाहते ही हैं, साथ में फरवरी में आंदोलन के दौरान जिन लोगों की मौत हुई उनको मुआवजा और सरकारी जॉब और घायल हुए उनको भी मुआवजा मिले। साथ ही सारे मुक़दमे वापस लिए जाये और जेल में बंद लोगों को छोड़ा जाए। जाट नेता बलजीत सिंह ने कहा कि जो हमारे लोग मारे गए वो सब शहीद हैं। आंदोलन के दौरान जेल में बंद सब लोगों को सरकार रिहा करे।
जाट समुदाय का कहना है कि जब सरकार अहिर, सैनी और गुर्जर को आरक्षण दे सकती है तो हमें क्यों नहीं। जाटों में भी अधिकतर लोगों की हालात ठीक नहीं है और खेती की जमीन सिमट गई है। रमेश का तो कहना है कि वो 40 साल का हो गया। मात्र दो बीघा खेत है। मां और बाप है। इससे गुजारा नहीं होता, इस वजह से शादी तक नहीं की। वहीं सरकार कह रही है उसने हर स्तर पर आंदोलन से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है।
हरियाणा के कृषि व पंचायत मंत्री ओ पी धनखड़ ने कहा कि हर किसी को शांतिपूर्ण आंदोलन करने का हक है लेकिन अगर कोई भी कानून हाथ में लेगा तो सरकार उससे सख्ती से निपटेगी। जाट समुदाय के लोग पांच जून को फिर होने वाले आंदोलन को शांतिपूर्वक करने को कह रहे हैं, लेकिन पिछला आंदोलन भी पहले शांति से चला मगर बाद में हिंसा और आगजनी का रूप ले लिया।
रोहतक के जसिया में पंचयात की बैठक हो रही है कि कैसे आंदोलन किया जाए। जाट नेता अशोक बलहारा ने कहा, 'अब भी सरकार के पास वक़्त है, हमारी मांग मान ले नहीं तो हमें कुछ ना कहना। इसी गांव से पांच जून से आंदोलन की शुरुआत होंगी। करीब दस हजार लोग जमा होंगे। जाट न्याय रैली के लिये। हम सरकार को फिर एक बार मोहलत देंगे फिर भी मांग नहीं मानी गई तो इसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी।'
आंदोलन करने को उतारू अब ये आरक्षण तो चाहते ही हैं, साथ में फरवरी में आंदोलन के दौरान जिन लोगों की मौत हुई उनको मुआवजा और सरकारी जॉब और घायल हुए उनको भी मुआवजा मिले। साथ ही सारे मुक़दमे वापस लिए जाये और जेल में बंद लोगों को छोड़ा जाए। जाट नेता बलजीत सिंह ने कहा कि जो हमारे लोग मारे गए वो सब शहीद हैं। आंदोलन के दौरान जेल में बंद सब लोगों को सरकार रिहा करे।
जाट समुदाय का कहना है कि जब सरकार अहिर, सैनी और गुर्जर को आरक्षण दे सकती है तो हमें क्यों नहीं। जाटों में भी अधिकतर लोगों की हालात ठीक नहीं है और खेती की जमीन सिमट गई है। रमेश का तो कहना है कि वो 40 साल का हो गया। मात्र दो बीघा खेत है। मां और बाप है। इससे गुजारा नहीं होता, इस वजह से शादी तक नहीं की। वहीं सरकार कह रही है उसने हर स्तर पर आंदोलन से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है।
हरियाणा के कृषि व पंचायत मंत्री ओ पी धनखड़ ने कहा कि हर किसी को शांतिपूर्ण आंदोलन करने का हक है लेकिन अगर कोई भी कानून हाथ में लेगा तो सरकार उससे सख्ती से निपटेगी। जाट समुदाय के लोग पांच जून को फिर होने वाले आंदोलन को शांतिपूर्वक करने को कह रहे हैं, लेकिन पिछला आंदोलन भी पहले शांति से चला मगर बाद में हिंसा और आगजनी का रूप ले लिया।
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