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This Article is From Mar 13, 2018

द्राबू की बर्खास्तगी से गठबंधन में दरार! बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के पार्टी नेताओं को दिल्ली बुलाया

पीडीपी के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री हसीब द्राबू की बर्खास्तगी के बाद बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार के भविष्य पर उठे सवाल

द्राबू की बर्खास्तगी से गठबंधन में दरार! बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के पार्टी नेताओं को दिल्ली बुलाया
बीजेपी के राम माधव और पीडीपी के हसीब द्राबू ने मिलकर जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार के गठन का रास्ता बनाया था.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
हसीब द्राबू बीजेपी और पीडीपी गठबंधन के शिल्पकारों में से एक
बीजेपी और पीडीपी को साथ लाने में बड़ी भूमिका निभाई थी
एक बयान की वजह से महबूबा ने मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार के भविष्य पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं. पीडीपी के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री हसीब द्राबू की बर्खास्तगी के बाद बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के अपने नेताओं को दिल्ली बुलाया है.

हसीब द्राबू बीजेपी और पीडीपी गठबंधन के शिल्पकारों में से एक माने जाते हैं. बीजेपी महासचिव राम माधव के साथ मिलकर उन्होंने विचारधारा के हिसाब से उत्तर और दक्षिण ध्रुव कही जाने वाली बीजेपी और पीडीपी को साथ लाने में बड़ी भूमिका निभाई. लेकिन सिर्फ एक बयान की वजह से मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया.

यह भी पढ़ें : 'कश्मीर एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है' बयान देने वाले वित्‍त मंत्री द्राबू को महबूबा मुफ्ती ने बर्खास्त किया

शुक्रवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में हसीब द्राबू ने कहा कि कश्मीर राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि इसके सामाजिक पहलू हैं. यह बयान पीडीपी की राय के खिलाफ है क्योंकि पीडीपी कश्मीर को राजनीतिक समस्या मानकर पाकिस्तान के साथ बातचीत के जरिए इसके हल की मांग करती है.

इस बयान से पीडीपी ने खुद को अलग करके द्राबू को बर्खास्त कर दिया. बीजेपी इसमें गठबंधन से खुद को अलग करने की पीडीपी की रणनीति देख रही है. इसीलिए राज्य के बीजेपी नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष और बीजेपी नेता कविंद्र गुप्ता कहते हैं कि संसद का सर्वानुमति से पारित प्रस्ताव है कि पीओके भी भारत का हिस्सा है.

VIDEO : बीजेपी-पीडीपी के रिश्तों पर हो सकता है असर

हालांकि बीजेपी के केंद्रीय नेता यह नहीं मानते कि द्राबू की बर्ख़ास्तगी से गठबंधन टूटेगा क्योंकि यह पीडीपी का अंदरूनी मामला है. लेकिन नरम छवि के द्राबू को अलग-थलग करने का कहीं यह संकेत तो नहीं कि पीडीपी अपने कट्टर एजेंडे पर वापस आ रही है? इस सवाल का जवाब गठबंधन का भविष्य तय करेगा.

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