जम्मू-कश्मीर में लॉक डाउन का मामला SC पहुंचा, जमीनी हकीकत पता लगाने के लिए न्यायिक आयोग की मांग की

याचिका में मांग की गई है कि वो जम्मू-कश्मीर में तत्काल धारा 144, फोन, इंटरनेट ब्लॉकिंग पर प्रतिबंध हटाने के लिए केंद्र को निर्देश जारी करें.

जम्मू-कश्मीर में लॉक डाउन का मामला SC पहुंचा, जमीनी हकीकत पता लगाने के लिए न्यायिक आयोग की मांग की

केंद्र सरकार बकरीद के मौके पर कश्मीर घाटी में लोगों को कुछ राहत देते हुए वहां लगी पाबंदियों में ढील दे सकती है.

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
  • उमर और मुफ्ती की रिहाई की मांग
  • तहसीन पूनावाला ने दाखिल की याचिका
नई दिल्ली:

भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के बाद किए गए लॉक डाउन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में तहसीन पूनावाला ने याचिका दाखिल की है. तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वो जम्मू-कश्मीर में तत्काल धारा 144, फोन, इंटरनेट ब्लॉकिंग पर प्रतिबंध हटाने के लिए केंद्र को निर्देश जारी करें. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की 'मनमानी' और 'अवैध' नजरबंदी से रिहाई की मांग की है.

याचिका में पूनावाला में मांग की है कि जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्थिति का पता लगाने के लिए न्यायिक आयोग गठित किया जाए. पूनावाला ने कहा कि ये हालात अनुच्छेद- 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (नागरिकों को जीने का अधिकार) का सीधे तौर पर उल्लंघन है. क्योंकि बुनियादी स्वास्थ्य सेवा, शैक्षणिक संस्थान, बैंक, सार्वजनिक कार्यालय, खाद्य-सब्जियां और राशन आपूर्ति तक वर्जित हैं. बुनियादी जरूरतों को भी प्रतिबंधित किया गया है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर का दौरा करने और जमीनी हालात का पता लगाने और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक न्यायिक आयोग की नियुक्ति की मांग की गई है.

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वहीं, केंद्र सरकार बकरीद के मौके पर कश्मीर घाटी में लोगों को कुछ राहत देते हुए वहां लगी पाबंदियों में ढील दे सकती है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. हालांकि, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि यह ढील पूरी तरह से दी जाएगी या फिर आंशिक रूप से. बकरीद का त्यौहार 12 अगस्त को मनाया जाएगा. जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के लिए केंद्र सरकार के कदम उठाने से पहले ये पाबंदियां लगाई गई थी. 

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एक अधिकारी ने बताया कि सरकार कश्मीर घाटी में लगाई गई पाबंदियों में कुछ ढील देने की योजनाओं पर काम करने की कोशिश कर रही है, ताकि लोग बकरीद मना सकें. हालांकि, ऐसी संभावना है कि सरकार नजरबंद नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को तत्काल रिहा नहीं करेगी. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि आने वाले दिनों में कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद ही नेताओं को रिहा किया जा सकेगा.

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