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This Article is From Sep 09, 2016

जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए पुलिस ने मांगे एक लाख पावा शेल

जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए पुलिस ने मांगे एक लाख पावा शेल
कश्मीर में कर्फ्यू से सन्नाटा.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
शुक्रवार को जुमे पर गड़बड़ी के मद्देनजर लगा रहा कर्फ्यू
लोगों के सुरक्षा कर्मियों को घेरने पर हो रहा पेलेट गन का उपयोग
केंद्र सरकार का हालात में सुधार का दावा
नई दिल्ली: आज सेना प्रमुख दलबीर सिंह ने श्रीनगर का दौरा किया और वहां सेना की तैनाती और इंतजामों का जायजा लिया. केंद्र सरकार दावा कर रही है कि हालात पहले से बेहतर हैं, लेकिन एहतियात इतनी कि आज भी पूरी घाटी में कर्फ्यू लगा रहा. पत्थरबाजों पर पेलेट गन का इस्तेमाल कम करने की हिदायत पुलिस और सुरक्षा बलों को दी गई है. पुलिस ने इसके विकल्प के रूप में एक लाख पावा शेल की मांग गृह मंत्रालय से की है.    

शुक्रवार को जुमे पर गड़बड़ी न हो इसका खयाल रखते हुए पूरी घाटी में सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया. सड़कें रोज की तरह सन्नाटे में डूबी रहीं. हालांकि केंद्र सरकार हालात सुधरने का दावा कर रही है. राज्य मंत्री  जितेंद्र सिंह का कहना है कि "कश्मीर का युवा विकास से साथ जुड़ना चाहता है. हमें उसे प्रोत्साहन देने की जरूरत है."  
 

सरकार के सामने असली चुनौती श्रीनगर के डाउन टाउन के नोहाटा इलाके में है. यहां कर्फ्यू भी चलता रहता है और पत्थर भी. यहां जामा मस्जिद की जुमे की नमाज के बाद लड़के प्रदर्शन और पथराव करते दिखते हैं. अब सुरक्षा बलों को जब पेलेट गन का इस्तेमाल कम करने के लिए कहा गया है. सरकार की फिक्र इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए है. सीआरपीएफ के एक जवान ने बताया  "हम लोग तभी पेलेट गन इस्तेमाल करते हैं जब सभी हथकंडे खत्म हो जाते हैं. लोग हमें घेर लेते हैं और हथियार छीनने लगते हैं."
 

वैसे अब पेलेट गन की जगह पुलिस कर्मियों और सुरक्षा बलों को पावा शेल इस्तेमाल करने को कहा गया है.  एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक लाख पावा शेल की मांग गृह मंत्रालय को भेजी है. इसके पहले 10,000 पावा शेल आ चुके हैं, जो अलग-अलग जिलों में भेजे जा चुके हैं. इसके अलावा कुछ ड्रोनों की भी मांग हुई है जो पांच किलोमीटर के दायरे तक जा सकें. इसके अलावा केंद्र सरकार 10,000 एसपीओ की तैनाती के लिए पहल कर चुकी है.

सरकार ने फिर सोशल साइटों पर हिंसा और अलगाव को बढ़ावा देने के खिलाफ चेतावनी जारी की है. ज्यादा फिक्र कश्मीर के ग्रामीण इलाकों की है जहां पहुंचना सुरक्षा कर्मियों के लिए अब भी चुनौती है.

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