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This Article is From Sep 08, 2014

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का कहर, 200 की मौत, राहत-बचाव कार्य जारी

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का कहर, 200 की मौत, राहत-बचाव कार्य जारी
श्रीनगर:

बीते 60 साल में सबसे जबरदस्त बाढ़ से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है। राज्य के 390 गांव पानी में डूब चुके हैं, इनमें से 50 गांव बुरी तरह से प्रभावित हैं। संचार माध्यम ठप पड़े हैं। सड़कें नदियों में बदल गई हैं और लोगों के पास खाने को खाना और पीने को साफ पानी नहीं हैं।

जरूरतमंदों को दवाइयों की किल्लत पैदा हो गई है। राजधानी श्रीनगर में इतना पानी भर चुका है कि 80 फीसदी शहर पानी में घिर चुका है। 5 से 6 फुट तक पानी के बीच लोगों के घरों में पानी घुस चुका है। बाढ़ की वजह से मरने वालों का आंकड़ा 200 के पार चला गया है।

प्रधानमंत्री ने एक हजार करोड़ की अतिरिक्त मदद मुहैया कराई गई है। हजारों लोग जहां तहां फंसे हुए है। दक्षिण कश्मीर में हालात सबसे ज्यादा खराब बताए जा रहे हैं।


आपदा से निपटने के अधिकारियों के प्रयासों के बीच उधमपुर जिले के पाचौरी गांव से भूस्खलन होने की खबर है। वहां फंसे कुछ लोगों को बचाने के लिए राहतकर्मी पहुंच गए हैं।

श्रीनगर के जलमग्न क्षेत्रों में लोगों को बाहर निकालने के लिए 25 नौकाएं लगाई गई हैं। भीषण बाढ़ का सामना कर रहे राज्य में अब तक 5,183 लोगों को बाहर निकाला जा चुका है।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के मुखिया ओपी सिंह ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, हमारे सामने बड़ी समस्या यह है कि संचार व्यवस्था टूट गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हमारी टीमों से हमारा संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसके अतिरिक्त, कई इलाकों में पानी का स्तर काफी ज्यादा है जहां हमारे कर्मी फंसे लोगों तक पहुंचने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।

एनडीआरएफ प्रमुख ने कहा, हमने राज्य में व्यापक अभियान छेड़ा है। राहत एवं बचाव कार्य को सुगमता से चलाने के लिए राज्य को तीन जोन में बांटा है। प्रत्येक जोन में अभियानों का नेतृत्व कमांडेंट स्तर का एक अधिकारी करेगा और यह सब एक डीआईजी के निरीक्षण में होगा। उन्होंने कहा कि बाढ़ में फंसे 5,183 लोगों को अब तक बचाया जा चुका है जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं।

एनडीआरएफ महानिदेशक ने कहा कि अन्य क्षेत्रों के अतिरिक्त श्रीनगर के जलमग्न इलाकों गोगलीबाग, बटमालू, बादामी बाग और बख्शी स्टेडियम में जबर्दस्त राहत एवं बचाव अभियान चल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में एनडीआरएफ की टीमें अब तक 13 से अधिक शव बरामद कर चुकी हैं।

अधिकारी ने बताया कि जम्मू और कश्मीर घाटी क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों में लगे कर्मियों के लिए 500 से अधिक सैटेलाइट फोन भी भेजे गए हैं।

बाढ़ से खराब होती स्थिति के मद्देनजर राज्य सरकार ने सभी स्कूलों को 12 सितंबर तक बंद रखने के आदेश दिए हैं ।

सेना ने इस बीच, राहत प्रयास और तेज करते हुए आपदा निगरानी प्रकोष्ठ स्थापित किया है और अपने सभी स्टेशनों को उच्च स्तर की तैयारियों के लिए अलर्ट किया है। अभियान में सेना की 184 टुकड़ियां (प्रत्येक टुकड़ी में 75 से 100 कर्मी) शामिल हैं, जबकि वायु सेना ने 29 विमान और हेलीकॉप्टर सेवा में लगाए हैं।

सेना और वायुसेना ने विभिन्न क्षेत्रों से हालांकि हजारों लोगों को बचाया है, लेकिन श्रीनगर सहित निचले इलाकों में अब भी बहुत से लोग फंसे हैं और वे इमारतों की उपरी मंजिलों पर मदद का इंतजार कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य में आई बाढ़ को कल अभूतपूर्व करार दिया था और कहा था, हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। कृपया डरें नहीं, हम आप तक पहुंचेंगे, मैं वायदा करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की थी और इसे ‘राष्ट्रीय स्तर की आपदा’ करार दिया था।

मोदी ने कहा था कि संकट की इस घड़ी में केंद्र जम्मू कश्मीर सरकार और राज्य के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकार काम करेगा।

उन्होंने कहा था, सरकार राज्य को बाढ़ राहत और पुनर्वास के लिए 1,000 करोड़ रुपये की विशेष परियोजना सहायता मुहैया कराएगी । स्थिति के उचित सर्वेक्षण के बाद जरूरत हुई तो और सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। कश्मीर में संचार प्रणाली ध्वस्त हो गई है। सभी निजी मोबाइल नेटवर्क ठप हैं। लैंडलाइन टेलीफोन नेटवर्क भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। प्रभावित इलाकों में पिछले सात दिन से बिजली एवं जल आपूर्ति प्रभावित है।

इस बीच, माता वैष्णो देवी तीर्थयात्रा चार दिन के अंतराल के बाद आज सुबह फिर से शुरू हो गई। भारी बारिश के चलते यात्रा चार दिन से स्थगित थी।

वायु सेना के एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू सेक्टर में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन श्रीनगर में स्थिति में अभी सुधार होना बाकी है। अधिकारी ने कहा, मेरा मानना है कि जम्मू सेक्टर में स्थिति अब नियंत्रण में है। पिछले दो दिनों में हम हवाई मार्ग से 18 टन से अधिक राहत सामग्री पहुंचाने में सफल रहे हैं। इससे पहले हमने विभिन्न गांवों से करीब 800 लोगों को बचाया था। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि इस ओर स्थिति ठीक है, लेकिन श्रीनगर में स्थिति थोड़ी खराब है। इस बीच, दिल्ली से श्रीनगर तक की उड़ानें अपराह्न तक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संचालित हुईं ।

जम्मू−कश्मीर में बाढ़ में फंसे लोगों के परिवार की मदद के लिए गृहमंत्रालय ने कई कंट्रोल रूम बनाए हैं और इनके हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जहां फोन कर आप जानकारी हासिल कर सकते हैं।

दिल्ली में गृह मंत्रालय के दफ्तर में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है, वहां के नंबर्स हैं, 011− 23093054, 23092763, 23092923, 23092885

श्रीनगर के लिए हेल्पलाइन नंबर्स हैं 0194−2452138 और जम्मू के लिए हेल्पलाइन नंबर है 0191−2560401

दिल्ली में एनडीआरएफ ने भी अपना कंट्रोल रूम बनाया है। उनसे आप इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं, 011−26107953, 09711077372

(इनपुट्स भाषा से भी)

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