पद्म अवार्ड (Padam Awards 2022) के नामों के ऐलान के बाद नया विवाद पैदा हो गया है. पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने पद्म भूषण का सम्मान स्वीकार नहीं करने का ऐलान किया है. वहीं बुद्धदेब भट्टाचार्य के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने के सहारे ही कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने पार्टी में अपने ही सहयोगी पर परोक्ष तौर पर निशाना साधा है. पद्म पुरस्कार को स्वीकार न करने के मामले बहुत कम ही सामने आते हैं, क्योंकि अवार्ड पाने वालों को पहले ही अनिवार्य तौर पर इसकी सूचना दी जाती है और उनके यह सम्मान स्वीकार किए जाने के बाद ही उनके नाम की घोषणा की जाती है.
Right thing to do. He wants to be Azad not Ghulam. https://t.co/iMWF00S9Ib
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 25, 2022
वहीं बुद्धदेब और उनकी पार्टी सीपीएम के इस फैसले को लेकर जयराम रमेश का ट्वीट नया सियासी बवंडर खड़ा कर सकता है. उन्होंने लिखा, "सही कदम उठाया, वो आजाद रहना चाहते हैं, न कि गुलाम." बुद्धदेब के साथ गुलाम नबी आजाद के नाम भी पद्म भूषण पाने वालों की सूची में है. दोनों को उनके सार्वजनिक क्षेत्र में योगदान के लिए यह पुरस्कार दिए जाने का ऐलान गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर किया गया है. हालांकि कांग्रेस के एक अन्य नेता शशि थरूर ने गुलाम नबी आजाद को यह सम्मान मिलने का स्वागत किया गया है. आजाद की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
Warm congratulations to Shri @ghulamnazad on his Padma Bhushan. It is good to be recognized for one's public service even by a government of the other side. https://t.co/OIT0iVNPjo
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 25, 2022
वहीं बुद्धदेब ने बंगाली में एक बयान जारी कर कहा, "मुझे पद्म भूषण के बारे में कोई जानकारी नहीं है. किसी ने मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी. अगर वो सचमुच में मुझे ये पुरस्कार दे रहे हैं, तो मैं इसे ठुकराता हूं." उसके ठीक पहले ही जयराम रमेश ने पूर्व नौकरशाह पीएन हक्सर द्वारा सम्मान लौटाए जाने को लेकर एक किताब के अंश का भी उल्लेख किया.
उन्होंने लिखा, जनवरी 1973 में हमारे देश के सबसे ताकतवर सिविल सेवक को बताया गया कि पीएमओ से उनकी विदाई के बाद उन्हें पद्म विभूषण दिया जा रहा है. इस पर पीएन हक्सर का जवाब यहां है, यह बेजोड़ और अनुकरण के योग्य है. "
हालांकि बुद्धदेब भट्टाचार्य के मामले में गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी को पद्म भूषण दिए जाने के बारे में सूचित किया गया था और उन्होंने इसके लिए गृह मंत्रालय का आभार भी जताया था. पद्म पुरस्कारों का यह ऐलान यूपी समेत पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के ठीक पहले किया गया है. यूपी, पंजाब, गोवा, मणिपुर औऱ उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं.
वर्ष 2008 के बाद पद्म पुरस्कार पाने वाले गुलाम नबी आजाद दूसरे कांग्रेसी नेता हैं. तब प्रणब मुखर्जी को पद्म विभूषण से नवाजा गया था और तब वो यूपीए सरकार में मंत्री भी थे. जबकि वर्ष 2019 में मोदी सरकार के दौरान भारत रत्न सम्मान दिया गया. शशि थरूर ने लिखा, गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने पर बधाई. किसी की भी सार्वजनिक सेवा के योगदान को मान्यता मिला अच्छा है, फिर चाहे वो दूसरे पक्ष की सरकार द्वारा ही क्यों न हो.
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