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This Article is From Aug 13, 2019

पाक ने माना आसान नहीं कश्मीर मुद्दे को UN में ले जाना, महमूद कुरैशी बोले- वहां कोई माला लिए नहीं खड़ा है

भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह बताता आ रहा है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने का कदम उसका आंतरिक मामला है और उसने पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार करने की सलाह दी.

पाक ने माना आसान नहीं कश्मीर मुद्दे को UN में ले जाना, महमूद कुरैशी बोले- वहां कोई माला लिए नहीं खड़ा है
पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य के दर्जे वाली धारा 370 के हटने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. वह इस मु्द्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना चाहता है लेकिन वह खुद भी ये मान रहा है कि ऐसा करना आसान नहीं है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिये जाने संबंधी भारत के फैसले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और मुस्लिम जगत का समर्थन हासिल करना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा.  उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में कहा कि यूएनएसी सदस्यों का समर्थन हासिल करने के लिए नया संघर्ष शुरू करने की बात कही है. 

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कुरैशी ने लोगों से कहा कि उन्हें मुगालते में नहीं रहना चाहिए. कोई भी वहां (UNSC में) हाथों में माला लिए खड़ा नहीं होगा. कोई भी वहां आपका इंतजार नहीं करेगा. किसी मुस्लिम देश का नाम लिये बगैर कुरैशी ने कहा, ‘‘उम्मा (इस्लामी समुदाय) के संरक्षक भी अपने आर्थिक हितों के कारण कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन नहीं कर सकते हैं.''

पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा, ''दुनिया के विभिन्न लोगों के अपने-अपने हित हैं. भारत एक अरब से अधिक लोगों का बाजार है. बहुत से लोगों ने भारत में निवेश किया है. हम अक्सर उम्मा और इस्लाम के बारे में बात करते हैं, लेकिन उम्मा के संरक्षकों ने भी वहां भारत निवेश किया हुआ है और उनके अपने हित हैं.'' 

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बता दें भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह बताता आ रहा है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने का कदम उसका आंतरिक मामला है और उसने पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार करने की सलाह दी. रूस ने हाल में जम्मू कश्मीर पर भारत के कदम का समर्थन किया था और वह ऐसा करने वाला यूएनएससी का पहला सदस्य बना था. उसने कहा था कि दर्जा में परिवर्तन भारतीय संविधान के ढांचे के भीतर है. (इनपुट-भाषा)

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