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This Article is From Aug 07, 2020

इतालवी मरीन केस: SC ने कहा, 'इटली पर्याप्त मुआवजा दे तो केस बंद करने की इजाजत दे सकते हैं'

सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में सरकार को UNCLOS के फैसले को रिकॉर्ड पर रखने को कहा था. केंद्र सरकार ने उसके फैसले को दाखिल करते हुए कहा कि अदालत को केस का निपटारा कर देना चाहिए 

इतालवी मरीन केस: SC ने कहा, 'इटली पर्याप्त मुआवजा दे तो केस बंद करने की इजाजत दे सकते हैं'
नई दिल्ली:

केरल में इटली के मरीन द्वारा दो मछुआरों की हत्या के मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल केंद्र सरकार की केस को बंद करने की अर्जी पर आदेश जारी करने से इनकार कर दिया. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे ने कहा कि पीडित परिवारों को सुने बिना कोई आदेश जारी नहीं करेंगे. सीजेआई ने कहा, 'पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए. पीड़ित परिवार ट्रायल कोर्ट में भी पक्षकार हैं. उन्हें भी जवाब देने का मौका मिलना चाहिए.' सीजेआई ने कहा कि अदालत में मुआवजे के चेक और पीड़ित परिवारों को लेकर आएं, उनको पर्याप्त मुआवजा मिलेगा तो ही केस बंद करने की इजाजत होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इटली की ओर से पेश वकील से कहा कि उन्हें पर्याप्त मुआवजा देना होगा. वकील ने कहा - वाजिब मुआवजा दिया जाएगा. इस पर सीजेआई ने कहा- 'वाजिब नहीं पर्याप्त मुआवजा.'

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल मेहता को एक सप्ताह के भीतर पीड़ितों के परिवारों को केस में शामिल करने के लिए आवेदन दायर करने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र केस वापसी के लिए ट्रायल कोर्ट में एक आवेदन दायर करने के बजाय भारत में मामले को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट  कैसे आ सकता हैं?  पीड़ित परिवार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्षकार नहीं हैं. सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि आपने अवार्ड को मान लिया है और उसको चुनौती नहीं दी है?  याचिकाकर्ता मरीन के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि दो मछुआरों के परिवारों को भी 1 करोड़ और 50 लाख मुआवजे का भुगतान किया जा रहा है. दरअसल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मामले की सुनवाई को बंद करने का अनुरोध किया है.  

केंद्र सरकार ने अदालत से कहा है कि भारत ने यूएन कन्वेंशन ऑन लॉ ऑफ द् सी (UNCLOS) के फैसले को मानने का फैसला किया है, क्योंकि इसके बाद कोई अपील नहीं हो सकती और ये अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता नियमों के मुताबिक बाध्यकारी है. लिहाजा अदालत इस मामले में लंबित सुनवाई को बंद कर दे. 

सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में सरकार को UNCLOS के फैसले को रिकॉर्ड पर रखने को कहा था. केंद्र सरकार ने उसके फैसले को दाखिल करते हुए कहा कि अदालत को केस का निपटारा कर देना चाहिए 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही दोनों मेरीन को शर्तों के आधार पर इटली जाने की इजाजत दी थी. दरअसल UNCLOS के ट्रायब्यूनल ने कहा है कि  UNCLOS के नियमों के तहत भारतीय अधिकारियों की कार्यवाई सही थी. इटालियन सैन्य अधिकारियों यानि इटली UNCLOS Article 87(1)(a) और 90 के मुताबिक भारत के नेविगेशन के अधिकार को रोक रहा था.

दोनों भारत और इटली को इस घटना पर कार्यवाई का अधिकार था और कानूनी अधिकार भी कि इटालियन नाविकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करें. ट्रायब्यूनल ने इटली के दोनों नाविकों के हिरासत में रखने के लिए भारत से मुआवज़े की मांग को खारिज कर दिया. लेकिन ये माना कि इन नाविकों को देश के लिए काम करने के कारण भारतीय अदालतों की कार्यवाई से इम्युनिटी थी.  लेकिन भारत को जान माल के नुकसान के लिए हर्जाना बनता है. ट्रायब्यूनल ने कहा कि भारत और इटली आपस में विचार कर हर्जाने की रकम तय कर सकते हैं.

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