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This Article is From Mar 03, 2016

इशरत मामले पर सोनिया गांधी ने कहा, हम चिदंबरम के साथ

इशरत मामले पर सोनिया गांधी ने कहा, हम चिदंबरम के साथ
सोनिया गांधी ने साथ ही कहा कि वे कांग्रेस को तब से निशाना बना रहे हैं, जब हम सत्ता में थे।
नई दिल्ली: बुधवार को संसद की कार्रवाई शुरु होने से पहले कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं की एक बैठक हुई। बैठक से निकलने के बाद सोनिया गांधी ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि इशरत जहां के मामले में पार्टी पूरी तरह से पी चिदंबरम के साथ है। वह पहले ही अपना पक्ष रख चुके हैं। ये पूछे जाने पर कि बीजेपी की तरफ से कांग्रेस नेतृत्व को भी निशाना बनाया जा रहा है, सोनिया ने जवाब दिया कि इसमें कोई नई बात नहीं है। वे कांग्रेस को तब से निशाना बना रहे हैं, जब हम सत्ता में थे।

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की इस बैठक में ये भी फैसला लिया गया कि इशरत मामले पर लग रहे आरोपों का पार्टी जमकर जवाब देगी। अवर सचिव आरवीएस मणि पर ये कह कर सवाल उठाया जाएगा कि ये वही अधिकारी हैं, जिन्होने कहा था कि संसद पर हमले को वाजपेयी सरकार ने प्लान किया था और मुंबई हमला यूपीए सरकार ने प्लान किया था। क्या बीजेपी ऐसे अधिकारी की बात पर भरोसा करना चाहती है। कांग्रेस के अनुसार जीके पिल्लई बीजेपी को भाने वाला बयान इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि वे अडानी की कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हैं।

गौरतलब है कि 29 फरवरी को कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित अपनी एक प्रेस कांफ्रेंस में इशरत के मामले में हलफ़नामा बदले जाने के सवाल पर चिदंबरम ने साफ़ किया था कि इशरत के आतंकी होने से जुड़े सबूतों की कमी के आधार पर कोर्ट ने ही उस पर सवाल उठाए थे। यह भी कहा था कि पहले हलफ़नामे में चीज़ें साफ नहीं थी और ये उनकी जानकारी में लाया गया था। इसके बाद ही नया हलफ़नामा पेश किया गया।

कांग्रेस की तरफ से बुधवार को एनआईए की 2011 में अहमदाबाद एसआईटी को भेजी गई वह चिठ्ठी भी जारी की गई, जिसमें डेविड कोलमैन हेडली के बयान को कोर्ट में सबूत के तौर पर मान्यता न मिलने की बात की गई थी, क्योंकि उसका बयान कही सुनी बातों पर आधारित था। कांग्रेस ने यह भी साफ़ किया कि 6 अगस्त 2009 को दाख़िल हलफ़नामे में इशरत को लश्कर का आतंकी और एनकाउंटर को असली माना गया था। लेकिन 7 सितंबर 2009 को मेट्रोपॉलिटेन मजिस्ट्रेट एस पी तमांग ने न सिर्फ एनकाउंटर को फर्ज़ी करार दिया, बल्कि यह भी कहा कि इशरत और उसका साथी जावेद शेख पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के सदस्य थे, ये बताने के लिए ठोस सबूत नहीं हैं। यह भी कि वे नरेंद्र मोदी को मारने आए थे ये भी साबित नहीं होता। कोर्ट के इसी फ़ैसले को ध्यान में रखते हुए 29 सितंबर को दूसरा हलफ़नामा दाख़िल किया गया।

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