सीजेआई टीएस ठाकुर
नई दिल्ली:
असहिष्णुता पर जारी बहस के बीच, भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) टीएस ठाकुर ने रविवार को कहा कि यह ‘राजनीतिक मुद्दा’ है और जब तक न्यायपालिका ‘‘स्वतंत्र’’ है और विधि का शासन है, तब तक डरने की जरूरत नहीं है।
सीजेआई ने पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा, ‘‘ये सियासी पहलू हैं। हमारे यहां विधि का शासन है। जब तक विधि का शासन है, तब तक स्वतंत्र न्यायपालिका है और जब तक अदालतें अधिकारों तथा प्रतिबद्धताओं को कायम रखे हुए हैं, मुझे नहीं लगता कि किसी को किसी से डरने की जरूरत है।’’
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘‘मैं ऐसे संस्थान का नेतृत्व कर रहा हूं जो विधि के शासन को कायम रखता है और हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा की जाएगी, मुझे लगता है, हम समाज के सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा में सक्षम हैं। मेरा संस्थान नागरिकों के अधिकारों को कायम रखने में सक्षम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक विशाल देश है, हमें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। ये सब दृष्टिकोण की बातें हैं। जब तक न्यायपालिका स्वतंत्र है, किसी बात का डर नहीं होना चाहिए।’’ हालांकि वह असहिष्णुता पर बहस के राजनीतिक पहलुओं पर टिप्पणी से बचे और उन्होंने कहा, ‘‘सियासी लोग इसका कैसे उपयोग करते हैं, मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा।’’
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘‘लेकिन, हम विधि का शासन बनाए रखने और समाज के सभी नागरिकों तथा सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों के अधिकारियों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। समाज के किसी वर्ग को कोई डर नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि कुछ अधिकार आतंकवादियों सहित गैर नागरिकों के लिए भी उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि वे विधि के शासन के लाभार्थी हैं और उनके खिलाफ कानून के अनुरूप ही सुनवाई हो सकती है तथा तय प्रक्रिया का पालन किए बगैर ‘फांसी नहीं दी जा सकती।’
सीजेआई ने असहिष्णुता के मुद्दे और हालिया चर्चाओं से जुड़े सवालों का स्पष्ट रूप से जवाब देते हुए कहा, ‘‘जहां तक हमारा सवाल है, हमारे सामने ऐसी बाधाएं नहीं हैं। हममें ऐसे पूर्वाग्रह नहीं हैं और हमारी ऐसी अनिच्छा नहीं है। हम सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।’’
न्यायमूर्ति ठाकुर ने स्पष्ट किया कि वह किसी खास घटना का जिक्र नहीं कर रहे हैं। सीजेआई ने कहा कि यह देश सभी धर्मों का घर रहा है और यहां तक कि जिन लोगों को अन्य देशों में सताया गया वे भी यहां ‘‘फले फूले’’।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अन्य समाजों में सताए गए लोग यहां आए और फले फूले। हमारे यहां पारसी हैं और उनका योगदान बहुत है। हमारे पास कानूनी विद्वान और उद्योगपति हैं। हमारे पास विधि का शासन कायम रखने वाले एफएस नरीमन और ननी पालकीवाला जैसे लोग हैं और आप उनका योगदान जानते हैं।’’
सीजेआई ने पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा, ‘‘ये सियासी पहलू हैं। हमारे यहां विधि का शासन है। जब तक विधि का शासन है, तब तक स्वतंत्र न्यायपालिका है और जब तक अदालतें अधिकारों तथा प्रतिबद्धताओं को कायम रखे हुए हैं, मुझे नहीं लगता कि किसी को किसी से डरने की जरूरत है।’’
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘‘मैं ऐसे संस्थान का नेतृत्व कर रहा हूं जो विधि के शासन को कायम रखता है और हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा की जाएगी, मुझे लगता है, हम समाज के सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा में सक्षम हैं। मेरा संस्थान नागरिकों के अधिकारों को कायम रखने में सक्षम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक विशाल देश है, हमें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। ये सब दृष्टिकोण की बातें हैं। जब तक न्यायपालिका स्वतंत्र है, किसी बात का डर नहीं होना चाहिए।’’ हालांकि वह असहिष्णुता पर बहस के राजनीतिक पहलुओं पर टिप्पणी से बचे और उन्होंने कहा, ‘‘सियासी लोग इसका कैसे उपयोग करते हैं, मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा।’’
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘‘लेकिन, हम विधि का शासन बनाए रखने और समाज के सभी नागरिकों तथा सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों के अधिकारियों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। समाज के किसी वर्ग को कोई डर नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि कुछ अधिकार आतंकवादियों सहित गैर नागरिकों के लिए भी उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि वे विधि के शासन के लाभार्थी हैं और उनके खिलाफ कानून के अनुरूप ही सुनवाई हो सकती है तथा तय प्रक्रिया का पालन किए बगैर ‘फांसी नहीं दी जा सकती।’
सीजेआई ने असहिष्णुता के मुद्दे और हालिया चर्चाओं से जुड़े सवालों का स्पष्ट रूप से जवाब देते हुए कहा, ‘‘जहां तक हमारा सवाल है, हमारे सामने ऐसी बाधाएं नहीं हैं। हममें ऐसे पूर्वाग्रह नहीं हैं और हमारी ऐसी अनिच्छा नहीं है। हम सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।’’
न्यायमूर्ति ठाकुर ने स्पष्ट किया कि वह किसी खास घटना का जिक्र नहीं कर रहे हैं। सीजेआई ने कहा कि यह देश सभी धर्मों का घर रहा है और यहां तक कि जिन लोगों को अन्य देशों में सताया गया वे भी यहां ‘‘फले फूले’’।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अन्य समाजों में सताए गए लोग यहां आए और फले फूले। हमारे यहां पारसी हैं और उनका योगदान बहुत है। हमारे पास कानूनी विद्वान और उद्योगपति हैं। हमारे पास विधि का शासन कायम रखने वाले एफएस नरीमन और ननी पालकीवाला जैसे लोग हैं और आप उनका योगदान जानते हैं।’’
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