दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की कोशिश से इंटरनेशनल ड्रग्स सिंडिकेट के मास्टरमाइंड हरविंदर सिंह उर्फ बल्ली को लंदन की कोर्ट ने प्रत्यप्रित कर दिया है. पिछले 1 साल में स्पेशल सेल की कोशिश से किसी ब्रिटिश नागरिक का ये दूसरा प्रत्यपर्ण है. इस साल मार्च के महीने में लंदन से किशन सिंह नाम के शख्स को लंदन से प्रत्यप्रित किया गया था. स्पेशल सेल के डीसीपी राजीव रंजन के मुताबिक इस सिंडिकेट के सात लोगों को 2018 में स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था. आरोपी हरविंदर सिंह ड्रग्स से जुड़े इस मामले में वांछित था.
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उन्होंने बताया कि अपने भारतीय सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद जांच के दौरान उसका नाम ड्रग सिंडिकेट के मास्टरमाइंड के रूप में सामने आया, जो यूनाइटेड किंगडम में एक बड़ी ड्रग्स की खेप की खरीद के लिए भारत में विभिन्न सह-आरोपियों को लंदन से आदेश दे रहा था. इस मामले में इंटरसेप्ट की गई टेलीफोन कॉलों ने अहम सुराग मिले, जिसके बाद ब्रिटिश नागरिक हरविंदर सिंह के खिलाफ प्रत्यर्पण की अपील दायर की गई. आरोपी का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था, लेकिन बाद में 2008 में उसने ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली. वर्तमान में वह साउथ हॉल, यूनाइटेड किंगडम में रह रहा था, जहां से उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया है. वह एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का सरगना है और भारत में अपने नेटवर्क के माध्यम से यूनाइटेड किंगडम में ड्रग्स की खरीद में शामिल था.
क्या है मामला
18 मई 2018 को स्पेशल सेल की एक टीम ने आईजीआई एयरपोर्ट के कार्गो टर्मिनल में छापेमारी की और लुफ्थांसा एयरलाइंस के माध्यम से यूनाइटेड किंगडम को भेजे जाने वाले ड्रग्स की एक बड़ी खेप बरामद की. उस खेप की बरामदगी के दौरान आरोपी आशीष शर्मा और आसिम अली को गिरफ्तार कर लिया गया. जांच के दौरान कुछ और आरोपी जैसे प्रवीण सैनी, राजेंद्र कुमार, पवन कुमार, ललित सुखीजा और अक्षत गुलिया को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था और उनके कहने पर भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद किए गए थे.
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जांच के दौरान, इस ड्रग सिंडिकेट का सरगना हरविंदर सिंह उर्फ बलजीत सिंह उर्फ बल्ली के रूप में सामने आया, जो लंदन में रहने वाला एक भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक है. चार्जशीट को अंतिम रूप दिया गया और कोर्ट से आरोपी हरविंदर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ.
अब तक हुई कुल वसूली
अब तक 4 किलोग्राम मेफेड्रोन ड्रग (आमतौर पर 'म्याऊ-म्याऊ' के रूप में जाना जाता है) और डायजेपाम पाउडर ड्रग के साथ-साथ डायजेपाम, नाइट्राजेपम, लोराज़ेपम और अल्प्राजोलम टैबलेट (सभी साइकोट्रोपिक पदार्थ) सहित 6,53,244 गोलियां (वजन के हिसाब से 147.8 किलोग्राम) इस मामले में बरामद कर जब्त कर लिया गया है. बरामद की गई मात्रा को एनडीपीएस अधिनियम में कॉमर्शियल मात्रा है और इस अपराध कम से कम 10 साल की कैद है जो 20 साल तक हो सकती है और जुर्माना हो सकता है.
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