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केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि भारतीय मछुआरों की हत्या करने के मामले में इतालवी मरीनों के खिलाफ जांच 60 दिन के भीतर पूरी कर ली जाएगी।
इतालवी सरकार की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष कहा कि एनआईए को जांच करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि नौसैनिकों पर लगे आरोप राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कानून के दायरे में नहीं आते।
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने एनआईए से मामले की जांच करने को कहा है।
उन्होंने कहा कि एनआईए केवल तभी जांच कर सकती है जब ‘अनलॉफुल एक्ट्स अगेंस्ट सेफ्टी ऑफ मैरीटाइम नैविगेशन एंड फिक्स्ड प्लैटफॉर्म ऑन कांटिनेंटल शेल्फ एक्ट, 2002’ के तहत आरोप लगे हों। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के परिप्रेक्ष्य में ऐसा नहीं किया जा सकता जिसने नौसैनिकों के खिलाफ केवल भारतीय दंड संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, समुद्री क्षेत्र कानून और संयुक्त राष्ट्र संधि संबंधी समुद्री कानून के तहत अभियोग चलाने का आदेश दिया है।
अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने इतालवी सरकार के तर्क पर आपत्ति जताई और कहा कि एनआईए इसकी जांच कर सकती है। उन्होंने न्यायालय को आश्वासन दिया कि जांच 60 दिन में पूरी कर ली जाएगी। वाहनवती ने कहा, ‘‘एनआईए कानून के तहत एनआईए सीमित नहीं है। सीबीआई पर काफी दबाव है और सरकार ने मामले की जांच के लिए एनआईए को संस्थान के रूप में चुना।’’ न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले में 22 अप्रैल को आदेश दिया जाएगा।
इतालवी जहाज ‘एनरिका लेक्सी’ पर तैनात इतालवी नौसैनिकों मैसिमिलियानो लैटोर और सल्वाटोर गिरोन ने पिछले साल 15 फरवरी को केरल तट से दूर दो भारतीय मछुआरों की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी थी।
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