India-Nepal Border Row: नेपाल द्वारा भारतीय क्षेत्र को अपने नक्शे में दर्शाने और उस राजनीतिक मानचित्र को कैबिनेट में पास करवाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ा ऐतराज जताया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि एकपक्षीय कार्रवाई ऐतिहासिक तथ्यों, प्रमाणों पर आधारित नहीं है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल द्वारा नया नक्शा जारी किया जाना, सीमा संबंधी मुद्दों को बातचीत के जरिये हल किए जाने की द्विपक्षीय समझ के विपरीत है.
भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि नक्शे पर नेपाल को अनुचित दावों से बचना चाहिए. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नेपाल को भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और यह कदम बातचीत से सीमा विवाद को हल करने की भावना के विपरीत है. इस तरह की एकतरफा कार्रवाई ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित नहीं है.
बता दें कि नेपाली कैबिनेट द्वारा पास किए गए इस राजनीतिक नक्शे में भारतीय क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा (Lipulekh, Kalapani & Limpiyadhura) को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है. नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सांसदों ने कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल की सीमा में लौटाने की मांग करते हुए संसद में विशेष प्रस्ताव भी रखा था. विदेश मंत्री (Foreign Minister) प्रदीप कुमार गयावली (Pradeep Kumar Gyawali) ने इस कदम की घोषणा से हफ्तों पहले कहा था कि कूटनीतिक पहलों के जरिए भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास जारी हैं.
गौरतलब है कि लिपुलेख दर्रा नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा, कालापानी के पास एक दूरस्थ पश्चिमी स्थान है. भारत और नेपाल, दोनों कालापानी को अपनी सीमा का अभिन्न हिस्सा बताते हैं. भारत उसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है, वहीं नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है. गयावली ने कहा कि भूमि प्रबंधन मंत्रालय जल्द ही नेपाल का आधिकारिक मानचित्र सार्वजनिक करेगा. उन्होंने सोमवार को ट्विटर पर कहा, “मंत्री परिषद ने नेपाल के सात प्रांतों, 77 जिलों और लिमपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी समेत 753 स्थानीय स्तर के प्रशासनिक संभागों में नेपाल का मानचित्र प्रकाशित किया जाने का फैसला लिया है.”