कोलकाता:
भारत के मंगल अभियान के लिए अक्टूबर में इसरो के रॉकेट का प्रक्षेपण किए जाने की उम्मीद है। इस अभियान के तहत ‘लाल ग्रह’ पर जीवन के साक्ष्य और वायुमंडल को पहुंचे नुकसान के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। एक शीर्ष वैज्ञानिक ने यह जानकारी दी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ‘मार्स आबिर्टर मिशन’ की घोषणा की थी।
अब देश का मंगल अभियान पूरी गति पकड़ने जा रहा है और मिशन के दौरान किए जाने वाले पांच प्रयोगों के उपकरणों के मार्च में इसरो को आपूर्ति किए जाने की उम्मीद है।
फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी के निदेशक जितेन्द्र नाथ गोस्वामी ने बताया, ‘हमें पांच पेलोड मार्च तक मिल जाने हैं और हमारी योजना अप्रैल से उन्हें उपग्रह से जोड़ने की है।’ गोस्वामी मंगल अभियान के साथ करीबी रूप से जुड़े हुए हैं।
इसरो के भरोसेमंद रॉकेट पीएसएलवी-एक्सएल के जरिए अक्टूबर में श्रीहरिकोटा से उपग्रह प्रक्षेपित किए जाने की उम्मीद है यह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के दायरे से बाहर निकलने के लिए आवश्यक गति पकड़ लेगा।
मौजूदा योजना के मुताबिक उपग्रह के 26 नवंबर को पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने की उम्मीद है और इसके बाद यह मंगल की यात्रा पर चल पड़ेगा और वह यात्रा करीब 300 दिन तक चलने की उम्मीद है।
वैज्ञानिकों ने मंगल की कक्षा में उपग्रह को प्रवेश कराने के लिए अगले साल 22 सितंबर की तारीख तय की है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ‘मार्स आबिर्टर मिशन’ की घोषणा की थी।
अब देश का मंगल अभियान पूरी गति पकड़ने जा रहा है और मिशन के दौरान किए जाने वाले पांच प्रयोगों के उपकरणों के मार्च में इसरो को आपूर्ति किए जाने की उम्मीद है।
फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी के निदेशक जितेन्द्र नाथ गोस्वामी ने बताया, ‘हमें पांच पेलोड मार्च तक मिल जाने हैं और हमारी योजना अप्रैल से उन्हें उपग्रह से जोड़ने की है।’ गोस्वामी मंगल अभियान के साथ करीबी रूप से जुड़े हुए हैं।
इसरो के भरोसेमंद रॉकेट पीएसएलवी-एक्सएल के जरिए अक्टूबर में श्रीहरिकोटा से उपग्रह प्रक्षेपित किए जाने की उम्मीद है यह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के दायरे से बाहर निकलने के लिए आवश्यक गति पकड़ लेगा।
मौजूदा योजना के मुताबिक उपग्रह के 26 नवंबर को पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने की उम्मीद है और इसके बाद यह मंगल की यात्रा पर चल पड़ेगा और वह यात्रा करीब 300 दिन तक चलने की उम्मीद है।
वैज्ञानिकों ने मंगल की कक्षा में उपग्रह को प्रवेश कराने के लिए अगले साल 22 सितंबर की तारीख तय की है।
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