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This Article is From Sep 28, 2014

सेना में बढ़ी आईएसआई की 'पहुंच', सोशल साइट्स के प्रयोग पर गाइडलाइंस लाने की तैयारी

सेना में बढ़ी आईएसआई की 'पहुंच', सोशल साइट्स के प्रयोग पर गाइडलाइंस लाने की तैयारी
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:

बीते एक महीने में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने वाले कई सैन्यकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। ये लोग आईएसआई के जाल में फंसकर सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारियां पाकिस्तान भेज रहे थे। सेना देश के सुरक्षा तंत्र में लगातार पाकिस्तानी जासूसों के पाए जाने को काफी गंभीरता से ले रही है।

पहला केस : पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के झांसे ने सैन्य तंत्र को हिलाकर रख दिया है। पाकिस्तानी 'हनीट्रैप' ने कई जवानों को अपने जाल में फंसाकर उनसे सेना की गोपनीय जानकारियां हासिल कीं।

पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन में तैनात एयरमेन सुनील कुमार को एक महिला को गोपनीय जानकारियां ई-मेल करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। सुनील कुमार पैसों के एवज में मीना रैना नाम के एक अकाउंट पर जानकारियां भेज रहा था। पठानकोट एयरबेस की साइबर टीम सुनील कुमार पर लगातार नज़र रखे हुए थी।

दूसरा केस : इससे पहले सिकंदराबाद में तैनात भारतीय सेना के जवान नायब सूबेदार पाटन कुमार पोद्दार पाकिस्तान की एक महिला जासूस के जाल में फंस गया और लंबे समय तक सेना के अहम राज बताता रहा। जानकारियों के एवज में महिला पाटन कुमार को पैसों के अलावा अपनी न्यूड तस्वीरें और वीडियो भेज रही थी। साथ ही पाटन कुमार को लंदन घुमाने का वायदा भी किया गया था।

पश्चिम बंगाल के माल्दा जिले के पाटन कुमार ने जुलाई 2013 से ही पाकिस्तानी महिला जासूस को जानकारियां देना शुरू किया। महिला जासूस पोद्दार के बैंक खाते में रकम जमा करवाती थी। दरअसल पोद्दार फेसबुक के जरिये 'अनुष्का अग्रवाल' नाम की लड़की के संपर्क में आया। लड़की ने बताया कि वह एमएससी की छात्रा है और उसके पिता भारतीय वायुसेना के रिटायर कमांडर हैं। महिला ने यह दर्शाया कि वह पोद्दार की तरफ आकर्षित है।

अनुष्का ने पोद्दार को अपने एनजीओ में काम करने का प्रस्ताव दिया और भारतीय सेना का ऑनलाइन सर्वे करने के एवज में हर महीने 10 हज़ार रुपये देने की बात की। अनुष्का ने पहले अपनी न्यूड तस्वीरें पोद्दार को दीं और इसके बाद न्यूड वीडियो भी भेजे। जुलाई, 2013 में अनुष्का ने पोद्दार के एसबीआई खाते में नौ हजार रुपये जमा किए। महिला ने पोद्दार से एक ऑनलाइन फार्म भरने के लिए भी कहा, जिसमें पोद्दार ने अपनी निजी जानकारियां साझा कीं। इसके बाद अनुष्का ने पाटन कुमार पोद्दार को उसके मोबाइल फोन पर कॉल करना शुरू किया। अनुष्का नाम की यह पाकिस्तानी जासूस पोद्दार के बैंक खाते में पैसे जमा करवाती थी और उससे सेना की अहम जानकारियां हासिल करती रहती थी।

तीसरा केस : इसी तरह मेरठ में एसटीएफ के हाथ लगे पाकिस्तानी जासूस आसिफ से जानकारी मिली है कि उसने सेना के रिटायर्ड अधिकारी मदन मोहन पाल के एकाउंट में 15 हज़ार, 20 हज़ार और 10 हज़ार की रकम डाली। आसिफ पाटन कुमार पोद्दार के अकाउंट में भी रकम डाल चुका है। पाकिस्तान में शादीशुदा आसिफ ने झांसी में तैनात सेना के एक अफसर के बेटे को लैपटॉप भी दिया था। लैपटॉप में लगे सॉफ्टवेयर से आईएसआई को लैपटॉप में डाले गए दस्तावेज़ अपने आप हासिल हो जाते थे।

आसिफ सोलह बार पाकिस्तान जाकर आईएसआई से ट्रेनिंग ले चुका है। बारहवीं पास आसिफ बेहद शातिर और कम्प्यूटर का मास्टर है। सेना के कई जवानों का ब्यौरा और उनके मूवमेंट की जानकारियां आसिफ से मिली हैं। आसिफ अपनी शादी से काफी पहले से आईएसआई के लिए काम कर रहा था। उसके एक बेटा और एक बेटी भी है।

मेरठ के सुभाष बाजार की स्प्रिंग फैक्ट्री में सुपरवाइजर की नौकरी करने वाले आसिफ के कब्ज़े से सेना के दस्तावेजों में गोपनीय और संवदेनशील सूचनाएं हासिल हुई हैं। यानी आईएसआई अपने हनी ट्रैप में कई जवानों को फंसाने में जुटी है।

चौथा केस : बबीना कैंट में तैनात सेना का चालक सुनीत कुमार फेसबुक के माध्यम से आईएसआई एजेंट पूनम प्रकाश और रिया के संपर्क में आया। लालच के भंवर में फंसकर वह सूचनाएं देने लगा, लेकिन गिरफ्तार हो गया।

पांचवां केस : सुनीत कुमार के पकड़े जाने के बाद से ही बबीना कैंट में ही तैनात एक और जवान मनोहर सिंह ड्यूटी से ग़ायब हो गया था। उसने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया था। जानकारी के मुताबिक मनोहर सिंह बरेली में ठिकाने बदल-बदलकर किराए के मकानों में रह रहा था। आर्मी इंटेलिजेंस समेत तमाम एजेंसियां मनोहर का सुराग लगाने में जुटी हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कामयाबी नहीं मिली है। मनोहर का परिवार भी अंडरग्राउंड हो गया है। लेकिन एसटीएफ के हत्थे मनोहर का एक रिश्तेदार जरूर लगा है, जो उत्तराखंड के खटीमा का रहने वाला है।

खुफिया एजेंसियों को पता चला है कि फरार होने के पहले मनोहर सिंह ने गाजियाबाद के एक मॉल में 27 हज़ार रुपये के कपड़े, जूते, मोबाइल, बैग और दूसरे सामान ख़रीदे थे। मनोहर की घेराबंदी में अब एटीएस को भी लगाया गया है।

आईएसआई ने सेना की जानकारियां लेने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स का जमकर इस्तेमाल किया है। फेसबुक के जरिये महिला दोस्तों से पहले सेना के जवानों की दोस्ती कराई गई। बात प्यार और शादी तक पहुंचाई गई और उसके बाद सेना की जानकारियां लेना शुरू किया गया।

एसटीएफ और एटीएस की टीमें मनोहर सिंह की तलाश में जगह-जगह छापेमारी कर रही हैं। अपनी करतूतों का राज़फाश होने पर मनोहर भाग खड़ा हुआ। जांच में यह तथ्य भी सामने आए हैं कि मनोहर की मुलाकात आईएसआई एजेंट आसिफ से भी होती थी।
मनोहर सिंह का क़िस्सा सामने आने के बाद अफसरों और जवानों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल पूरी तरह बंद करने के निर्देश भी जारी हुए हैं। अब सुरक्षा एजेंसियां मनोहर का आईएसआई से कनेक्शन तलाशने में जुटी हैं। मनोहर ने फेसबुक पर अपना एकाउंट भी 26 अगस्त को डिलीट कर दिया।

फेसबुक पर सुनीत कुमार ने तीन जबकि मनोहर सिंह ने दो अकाउंट बना रखे थे। सेना इन सभी मामलों को काफी गंभीरता से ले रही है। मनोहर की गिरफ्तारी की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। बुंदेलखंड के झांसी, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और रुहेलखंड के बरेली-पीलीभीत में दबिशें दी जा रही हैं।

उधर, राजस्थान के ही अनूपगढ़ में भगोड़ा घोषित किए गए एयर फोर्स अधिकारी शशांक शेखर को भारत पाक सीमा के क़रीब बीएसएफ ने गिरफ्तार किया है। बीएसएफ के मुताबिक अंबाला एयर फोर्स स्टेशन में तैनात शेखर ने कुछ कागज़ात और अपना पासपोर्ट जूतों में छिपा रखा था। हालांकि, शंशाक शेखर 24 अक्टूबर 2011 से ही अपनी ड्यूटी से ग़ायब था। शेखर को 21 दिसम्बर, 2011 को भगोड़ा घोषित किया जा चुका था। बाद में 11 मई, 2012 को एयर फोर्स और पुलिस ने मिलकर उसको देहरादून के हरिपुराकलां से हिरासत में ले लिया था।

अंबाला एयरफोर्स स्टेशन लाए जाने पर रात में शेखर ने कस्टडी में घुटन की शिकायत की और खुली हवा में घूमने की इच्छा जताई। सुरक्षा में लगे एयरफोर्स कर्मियों के इजाज़त देने पर शेखर अंधेरे का फायदा उठाकर ग़ायब हो गया। हालांकि सुरक्षा कर्मियों ने उसको पकड़ने की भरपूर कोशिश की, लेकिन वह हाथ नहीं लगा। हालांकि शेखर का मानसिक स्वास्थ्य ठीक न होने की बात भी सामने आ रही है।

बीते एक महीने में ही पाकिस्तानी जासूसी के इन सारे मामलों के सामने आने के बाद अब सेना मुख्यालय में नए सिरे से सोशल मीडिया नीति बनाई जा रही है। इसके तहत सैनिकों के लिए कुछ ही दिन में गाइडलाइंस जारी की जाएंगी। इन गाइडलाइंस के मुताबिक फौजियों से फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन या ऐसे दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी सैन्य-पहचान ज़ाहिर न करने की बात कही जाएगी। सेना के नीतिकारों का मानना है कि सैनिकों को फेसबुक पर वर्दी में अपने फोटोग्राफ नहीं लगाने चाहिए। इसके अलावा अपनी रैंक या ओहदे को ज़ाहिर न करने के लिए कहा जाएगा।

सैनिकों से कहा जाएगा कि वे अपनी नियुक्ति वाले शहर का उल्लेख सोशल मीडिया पर न करें, साथ में किस भूमिका में नियुक्त हैं, इसका ज़िक्र न करें। इसके अलावा गाइडलाइंस में कहा जाएगा कि सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती न करें। अगर कोई सेना संबंधी जानकारी लेने के लिए कुरेद रहा है, तो वरिष्ठों को इसकी सूचना दें, ताकि उस प्रोफाइल की तहकीकात की जा सके। साथ ही महिलाओं से दोस्ती करते वक़्त सावधानी बरतने के दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

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