
भारतीय सेना का युद्धाभ्यास (फाइल फोटो)
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डोकलाम में 16 जून से जारी है गतिरोध
यहां पर दोनों देश की सेना की टुकड़ी है आमने सामने
दोनों ओर का मीडिया युद्ध की संभावना की बात कर रहा है
संवेदनशील प्रकृति की सूचना होने के कारण अधिकारियों ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया, 'सिक्किम और अरूणाचल सेक्टरों में चीन से लगी सीमा के पास सैनिकों के स्तर को बढ़ा दिया गया है.' भारतीय थलसेना के सुकना स्थित 33 कोर के साथ-साथ अरूणाचल और असम स्थित 3 और 4 कोर को पूर्वी क्षेत्र में भारत-चीन की संवेदनशील सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी दी गई है. अधिकारियों ने तैनात किए गए सैनिकों का कोई आंकड़ा या तैनाती में हुई बढ़ोत्तरी का प्रतिशत बताने से इनकार करते हुए कहा कि वे 'ऑपरेशन से जुड़े ब्यौरे' का खुलासा नहीं कर सकते.
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, स्थानीय मौसम से तालमेल बिठाने की प्रक्रिया पूरी कर चुके जवानों सहित करीब 45,000 जवानों को हर वक्त सीमा पर तैयार रखा जाता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि उन्हें तैनात किया ही जाए. समुद्र तल से 9,000 फुट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर तैनात सैनिकों को मौसम से तालमेल बिठाने की 14 दिन लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
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बहरहाल, अधिकारियों ने कहा कि डोकलाम में भारत-चीन-भूटान ट्राई-जंक्शन पर सैनिकों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है. डोकलाम में करीब आठ हफ्ते से लगभग 350 जवान तैनात हैं. यह तैनाती उस वक्त से है जब भारतीय सैनिकों ने 16 जून को चीनी सेना को वहां एक सड़क बनाने से रोक दिया था.
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डोकलाम पर भूटान और चीन के अपने-अपने दावे हैं और वे मसले को हल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. चीन पिछले कुछ हफ्तों से भारत के खिलाफ आक्रामक बयानबाजी कर रहा है. उसकी मांग है कि भारत डोकलाम से अपनी सेना हटाए. खासकर चीन की मीडिया ने डोकलाम मुद्दे पर कई आलेख लिखकर भारत की तीखी आलोचना की है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में बयान दिया था कि दोनों पक्षों को पहले अपनी-अपनी सेना हटानी चाहिए, तभी कोई बातचीत हो सकेगी. उन्होंने सीमा पर गतिरोध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने की वकालत की थी. भारत ने चीन सरकार को भी बता दिया है कि सड़क निर्माण से यथास्थिति में बड़ा बदलाव आ जाएगा और भारत की सुरक्षा गंभीर रूप से प्रभावित होगी.
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