नई दिल्ली:
राष्ट्रपति ओबामा की जीत भारत−अमेरिका संबंधों को एक नई दिशा दे सकती है। चुनाव अभियान के दौरान उठे नए सवाल और ओबामा के पहले कार्यकाल के अनुभव के आधार पर अमेरिका की विदेश और सामरिक नीति में बदलाव की संभावना बन रही है।
इसका असर भारत पर पड़ सकता है। भारत को उम्मीद है कि असर सही दिशा में होगा। ओबामा को बधाई संदेश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस ओर इशारा किया है।
पिछले चार साल में भारत और अमेरिका के रिश्तों में काफी सुधार हुआ है। मनमोहन सिंह ने कहा, मुझे उम्मीद है कि हम रिश्तों को सुधारने के काम को जारी रखेंगे।
उधर, एनडीटीवी से बातचीत में पूर्व विदेशमंत्री नटवर सिंह ने कहा कि अपनी पिछली भारत यात्रा के दौरान ओबामा ने संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावेदारी की वकालत की थी।
अब समय आ गया है कि भारत उन्हें ये याद दिलाए। उन्होंने कहा, ओबामा के नए कार्यकाल में भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए उनपर दबाव बढ़ाना होगा।
लेकिन, चुनाव अभियान के दौरान जिस तरह से ओबामा ने आउटसोर्सिंग की आलोचना की, उसे लेकर भारतीय उद्योग जगत थोड़ा तनाव में है। उद्योगपति राहुल बजाज ने कहा, बिज़नेस आउटसोर्सिंग पर रोमनी भारत के लिए बेहतर विकल्प होते। उधर, सीआईआई के डीजी चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच आउटसोर्सिंग एक स्टिकी प्वाइंट है, लेकिन अमेरिका को ये समझना होगा कि आउटसोर्सिंग से अमेरिका को भी फायदा हो रहा है और भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में 20 हजार से ज़्यादा नौकरियां पैदा की हैं।
अमेरिका के अब तक के सबसे खर्चिले राष्ट्रपति चुनाव में ओबामा की जीत भारत के लिए राहत की खबर है। अब ये उम्मीद करनी चाहिए कि नए कार्यकाल में ओबामा अपनी भारत नीति में ज़्यादा बदलाव नहीं करेंगे और संबंधों में सुधार की निरंतरता बनी रहेगी।
इसका असर भारत पर पड़ सकता है। भारत को उम्मीद है कि असर सही दिशा में होगा। ओबामा को बधाई संदेश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस ओर इशारा किया है।
पिछले चार साल में भारत और अमेरिका के रिश्तों में काफी सुधार हुआ है। मनमोहन सिंह ने कहा, मुझे उम्मीद है कि हम रिश्तों को सुधारने के काम को जारी रखेंगे।
उधर, एनडीटीवी से बातचीत में पूर्व विदेशमंत्री नटवर सिंह ने कहा कि अपनी पिछली भारत यात्रा के दौरान ओबामा ने संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावेदारी की वकालत की थी।
अब समय आ गया है कि भारत उन्हें ये याद दिलाए। उन्होंने कहा, ओबामा के नए कार्यकाल में भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए उनपर दबाव बढ़ाना होगा।
लेकिन, चुनाव अभियान के दौरान जिस तरह से ओबामा ने आउटसोर्सिंग की आलोचना की, उसे लेकर भारतीय उद्योग जगत थोड़ा तनाव में है। उद्योगपति राहुल बजाज ने कहा, बिज़नेस आउटसोर्सिंग पर रोमनी भारत के लिए बेहतर विकल्प होते। उधर, सीआईआई के डीजी चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच आउटसोर्सिंग एक स्टिकी प्वाइंट है, लेकिन अमेरिका को ये समझना होगा कि आउटसोर्सिंग से अमेरिका को भी फायदा हो रहा है और भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में 20 हजार से ज़्यादा नौकरियां पैदा की हैं।
अमेरिका के अब तक के सबसे खर्चिले राष्ट्रपति चुनाव में ओबामा की जीत भारत के लिए राहत की खबर है। अब ये उम्मीद करनी चाहिए कि नए कार्यकाल में ओबामा अपनी भारत नीति में ज़्यादा बदलाव नहीं करेंगे और संबंधों में सुधार की निरंतरता बनी रहेगी।
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