विज्ञापन
This Article is From Aug 22, 2018

मनमोहन सिंह सरकार में ज़्यादा थी विकास दर, मोदी सरकार ने फजीहत के बाद हटाया डाटा

एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान भारत ने सर्वाधिक विकास दर हासिल की थी, जिसे सरकार की वेबसाइट पर जारी किया गया.

मनमोहन सिंह सरकार में ज़्यादा थी विकास दर, मोदी सरकार ने फजीहत के बाद हटाया डाटा
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान भारत ने सर्वाधिक विकास दर हासिल की थी, जिसे सरकार की वेबसाइट पर जारी किया गया. मगर अब फजीहत की वजह से केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट से इसे हटा लिया गया है. देश के सकल आर्थिक उत्पाद (जीडीपी) की पीछे की श्रृंखला के आंकड़ों को लेकर उठे विवाद के बीच केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि ‘ये पक्के अनुमान नहीं है’ तथा आधिकारिक आंकड़े बाद में जारी किए जाएंगे. 

गौरतलब है कि वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों के विषय में गठित एक समिति द्वारा जीडीपी आकलन के नए आधार के अनुसार तैयार पिछले वर्षों की जीडीपी श्रृंखला पर एक ताजा रपट यह दर्शाती है कि पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार दौर में यानी मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान आर्थिक वृद्धि दर मौजूदा सरकार की तुलना में बेहतर थी. इस रपट के अनुसार 2006-07 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 10.08 प्रतिशत तक पहुंच गयी थी. यह 1991 में आर्थिक उदारीकरण शुरू होने के बाद की उच्चतम वृद्धि दर है.

रिपोर्ट में खुलासा: पूर्व PM मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत ने हासिल की थी सर्वाधिक विकास दर

इस रपट पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस के नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि संप्रग सरकार ने किसी एक दशक में अर्थव्यवस्था को सबसे तीव्र वृद्धि के स्तर पर पहुंचाया था और 14 करोड़ लोगों को गरीबी के स्तर से ऊपर उठाया था. उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘सत्य की जीत हुई है.  जीडीपी की पिछली श्रृंखला की गणना ने साबित किया है कि आर्थिक वृद्धि की दृष्टि से संप्रग का 2004-14 का कार्यकाल सर्वोत्तम था.’    

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालाय ने एक बयान में आज कहा कि जीडीपी की वर्तमान श्रृंखला की पीछे की कड़ियों को बनाने संबंधी इस रपट में प्रस्तुत अनुमान कोई ‘आधिकारिक अनुमान’ नहीं हैं.  राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) ने भी कहा है कि जीडीपी की नयी श्रृंखला की पिछली कड़ियों को ढालने का ‘काम चल रहा है’ और अभी इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

गिरते रुपया का आम आदमी पर क्या होगा असर?

वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों पर समिति के अध्यक्ष सुदीप्तो मुंडले एनएससी के कार्यवाहक चेयरमैन और चौदहवें वित्त आयोग के सदस्य रह चुके हैं. इस समिति का गठन पिछले साल अप्रैल में किया गया था ताकि वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों के आधार को आधुनिक बनाया जा सके. जीडीपी की नयी श्रृंखला की गणना के लिए वर्ष 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया है जबकि पुरानी श्रृंखला का आधार 2004-05 था. 

मंत्रालाय ने कहा है कि समिति ने आंकड़ों की समस्या से निपटने के लिए तीन तरीके अपनाए. पिछली कड़ियां तैयार करने के लिए तीन संभावित तरीकों पर विचार किया गया. ‘... रपट के अनुमान आधिकारिक अनुमान नहीं है. ये अनुमान केवल इसलिए है ताकि इनके आधार पर पीछे की कड़ियां तैयार करने के लिए किसी एक तरीके को तय किया जा सके.’    मंत्रालय ने कहा है कि एनएससी की इस समिति की सिफारिशों की वह और अन्य विशेषज्ञ समीक्षा करेंगे ताकि प्रत्येक क्षेत्र के उत्पाद के अनुमानों की पिछली कड़ियों को तैयार करने के लिए कोई उपयुक्त तरीका तय किया जा सके.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद पर की गई टिप्पणी को राज्‍यसभा की कार्यवाही रिकॉर्ड से हटाया गया

बयान में मंत्रालय का यह भी कहना है राष्ट्रीय लेखा-जोखा के आंकड़ों पर सलाह देने वाली समिति पीछे की कड़ियों के अनुमानों को तय करने से पहले उन पर विचार करेगी ताकि ये कड़ियों की निरंतरता, निश्चितता और विश्वसनीयता बनी रहे. मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के आंकड़े तैयार करने की प्रक्रिया खुली, पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रही सर्वोत्तम पद्धतियों और मानकों के अनुरूप होती हैं.

मंत्रालय ने कहा है कि इस काम में नमूने या प्रतिदर्श का आधार बड़ा से बड़ा रखने का प्रयास है और विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त ‘हाई फ्रिक्वेंसी डाटा’ का प्रयोग किया गया है. राष्ट्रीय लेखा जोखा के आंकड़ों की पिछली श्रृंखला के बारे में अपने स्पष्टीकरण में सरकार इन विषयों के समुचित संदर्भ भी प्रस्तुत करेगी ताकि इन अनुमानों का उपयोग करने वालों और सामान्य जन को इन अनुमानों के निर्धारण और आधार वर्ष के संशोधन में अपनायी गयी प्रक्रिया का पता हो.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्‍मू-कश्‍मीर चुनाव : पहले चरण में किस पार्टी में कितने करोड़पति उम्‍मीदवार? जानिए कितनी है औसत संपत्ति
मनमोहन सिंह सरकार में ज़्यादा थी विकास दर, मोदी सरकार ने फजीहत के बाद हटाया डाटा
कंगना रनौत को 'इमरजेंसी' पर राहत नहीं, 6 सितंबर को फिल्म नहीं होगी रिलीज
Next Article
कंगना रनौत को 'इमरजेंसी' पर राहत नहीं, 6 सितंबर को फिल्म नहीं होगी रिलीज
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com