कुलभूषण (Kulbhushan Jadhav) मामले में भारत पाकिस्तान (Pakistan) के मुख्य मुद्दों पर सहमति का इंतज़ार कर रहा है. अब भारतीय वकील की जगह क्वीन्स काउंसल को केस में वकील नियुक्त करने को तैयार है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अुनराग श्रीवास्व ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने अब तक मुख्य मुद्दों पर कुछ नहीं किया है - ना कागज़ात दिए हैं, न बिना रुकावट काउंसलर ऐक्सेस दिया है और न ही भारतीय या क्वीन्स काउंसल को कुलभूषण का केस लड़ने की इजाज़त दी है ताकि निश्पक्ष केस हो.
पाकिस्तान ने भले ही ऑर्डिनेंस का वक्त चार महीने बढ़ा दिया हो ताकि मौत की सज़ा के खिलाफ भारत अपील कर सके लेकिन मांग कोई भी नहीं मान रहा. इसके पहले भारतीय उच्चायोग के अफसरों को जब काउंसलर ऐक्सेस दिया गया तब भी उसमें कई समस्याएं खड़ी की गईं.
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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि कुलभूषण साफ तौर पर तनाव में दिख रहे थे. धमकाने वाले भाव भंगिमा में पाकिस्तानी अफसर वहां पर मौजूद थे. यहां तक कि राजनयिकों को कानूनी कागजात पर कुलभूषण के दस्तखत तक नहीं लेने दिया गया.
पाकिस्तान के जिन वकील को वहां केस सौंपा गया उन्हें अधिकारियों ने कागजात तक मुहैया नहीं कराए. कुलमिला कर इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के आदेश को सही तरीके से पालन नहीं करने की पूरी कोशिश है. अब भारत का ये भी कहना है कि क्वीन्स काउंसेल भी इस केस में कुलभूषण के लिए बहस कर सकते हैं.
इस वक्त भारत के जाने माने वकील हरीश साल्वे भी क्वींस काउंसेल हैं और अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में भी इस मामले में भारत का पक्ष रख चुके हैं.
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