भारत औऱ चीन के बीच हुई बातचीत
नई दिल्ली:
भारत और चीन के महत्वपूर्ण सीमा तंत्र की गुरूवार को बैठक हुई जिसमें सीमाई क्षेत्रों के ‘प्रभावी प्रबंधन’ तथा आपसी विश्वास बढ़ाने के मकसद से विश्वास बहाली उपायों के बारे में विचार किया गया .भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक बयान में बताया गया कि भारत चीन सीमा मामलों पर विचार विमर्श और समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 12वीं बैठक सिचुआन के चेंगदु शहर में हुई. डब्ल्यूएमसीसी की स्थापना 2012 में दोनों देशों के बीच चीन की घुसपैठ को लेकर आरोपों-प्रत्यारोपों के कारण बढ़े हुए तनाव की पृष्ठभूमि में हुई थी. इसका उद्देश्य भारत चीन सीमाई क्षेत्रों के प्रबंधन के बारे में विचार विमर्श और समन्वय के लिए एक संस्थागत तंत्र कायम करना है. गुरूवार की बैठक दोनों देशों के बीच सैन्य सम्पर्क बढ़ने के बीच हुई है. सैन्य सम्पर्क में वृद्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद शुरू हुई. इस शिखर वार्ता के चलते डोकलाम में दोनों देशों के बीच 73 दिनों तक चली तनातनी पीछे छूट गयी.
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बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमाई क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने वुहान शिखर वार्ता में दोनों देशों के नेताओं द्वारा उपलब्ध कराये गये सामरिक मार्गदर्शन के अनुसार सीमाई क्षेत्रों के प्रभावी प्रबंधन के बारे में विचार विमर्श किया.इसमें कहा गया कि दोनों देशों ने विश्वास बहाली के विभिन्न उपायों के बारे में चर्चा की. इसका मकसद आपसी भरोसे एवं समझ को बढ़ाना है. बयान के अनुसार भारतीय पक्ष ने इस बात पर बल दिया कि उनके द्विपक्षीय संबंधों के बेहतर विकास के लिए यह महत्वपूर्ण पूर्व शर्त है कि भारत चीन सीमाई क्षेत्रों में शांति बनी रहे.
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भारत एवं चीन के बीच 3488 किमी लम्बी वास्तविक नियन्त्रण रेखा है. दोनों देशों ने अभी तक सीमा विवाद के समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधियों के बीच 20 दौर की वार्ता की है. 21वें दौर की वार्ता इस वर्ष निर्धारित हैं. बैठक से पहले चीन में भारत के राजदूत गौतम बम्बावाले ने कहा कि भारत चीन सैन्य आदान-प्रदान वुहान शिखर वार्ता के बाद बढ़ गयी है. उन्होंने कहा कि वुहान के बाद हमारा सैन्य आदान प्रदान न केवल बहाल हुआ बल्कि तेजी से बढ़ा है.
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हमारे सैन्य कमांडर अधिक बेबाकी से आपस में बातचीत कर रहे हैं जैसा पहले कभी नहीं हुआ. उन्होंने यह बात 25 सितंबर को विश्व मामलों की भारतीय परिषद एवं चाइनीज पीपुल्स इंस्टीट्यूट फार फारेन अफेयर की बैठक में कही. (इनपुट भाषा से)
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बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमाई क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने वुहान शिखर वार्ता में दोनों देशों के नेताओं द्वारा उपलब्ध कराये गये सामरिक मार्गदर्शन के अनुसार सीमाई क्षेत्रों के प्रभावी प्रबंधन के बारे में विचार विमर्श किया.इसमें कहा गया कि दोनों देशों ने विश्वास बहाली के विभिन्न उपायों के बारे में चर्चा की. इसका मकसद आपसी भरोसे एवं समझ को बढ़ाना है. बयान के अनुसार भारतीय पक्ष ने इस बात पर बल दिया कि उनके द्विपक्षीय संबंधों के बेहतर विकास के लिए यह महत्वपूर्ण पूर्व शर्त है कि भारत चीन सीमाई क्षेत्रों में शांति बनी रहे.
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भारत एवं चीन के बीच 3488 किमी लम्बी वास्तविक नियन्त्रण रेखा है. दोनों देशों ने अभी तक सीमा विवाद के समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधियों के बीच 20 दौर की वार्ता की है. 21वें दौर की वार्ता इस वर्ष निर्धारित हैं. बैठक से पहले चीन में भारत के राजदूत गौतम बम्बावाले ने कहा कि भारत चीन सैन्य आदान-प्रदान वुहान शिखर वार्ता के बाद बढ़ गयी है. उन्होंने कहा कि वुहान के बाद हमारा सैन्य आदान प्रदान न केवल बहाल हुआ बल्कि तेजी से बढ़ा है.
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