सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:
सन 1995 में जम्मू के मौलाना आजाद मेमोरियल स्टेडियम में हुए बम धमाके के दोषी हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी गुलाम नबी को आज सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। गुलाम नबी पाकिस्तानी है। उसे सुप्रीम कोर्ट के 2 जुलाई के आदेश के बाद पेश किया गया।
गणतंत्र दिवस पर बम धमाकों से हुई थीं आठ लोगों की मौत
गत 2 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी गुलाम नबी को दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के सामने किया गया जुर्म कबूलना ही दोषी होने के लिए काफी है। सन 1995 में जम्मू के मौलाना आजाद मेमोरियल स्टेडियम में रिपब्लिक डे के दौरान सीरियल ब्लास्ट किए गए थे जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी। उस समय स्टेडियम में तत्कालीन राज्यपाल केवी कृष्णा के अलावा 40 हजार लोग मौजूद थे।
बुढ़ापे का हवाला देकर बचाव की कोशिश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टाडा कोर्ट ने इसे बरी कर दिया था हमने दोषी करार दिया है। सबूतों के नाम पर सिर्फ इकबालिया बयान हैं ऐसे में हम उसे फांसी की सजा नहीं देना चाहते। सीबीआई ने कहा था कि उसका अपराध बहुत बड़ा है, फांसी दी जानी चाहिए जबकि नबी की ओर से कहा गया कि वह 76 साल का है और करीब 14 साल जेल काट चुका है। उसे बीमारी भी है, इसलिए बाकी सजा माफ की जाए।
टाडा कोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला जम्मू-कश्मीर सरकार की याचिका पर सुनाया था और सजा के लिए गुलाम नबी को कोर्ट में तलब किया गया। राज्य सरकार ने टाडा कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। टाडा कोर्ट ने गुलाम नबी पर लगी टाडा, रणबीर पेनल कोड और एक्सप्लोसिवेस सबस्टेन्स एक्ट की धाराओं को रद्द कर दिया था और कहा था कि सीबीआई के सामने दिए गए इकबालिया बयान के सहारे केस नहीं चलाया जा सकता। सवाल यह भी उठाया गया कि नबी का इकबालिया बयान हिंदी में था जबकि नबी को उर्दू आती है।
गणतंत्र दिवस पर बम धमाकों से हुई थीं आठ लोगों की मौत
गत 2 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी गुलाम नबी को दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के सामने किया गया जुर्म कबूलना ही दोषी होने के लिए काफी है। सन 1995 में जम्मू के मौलाना आजाद मेमोरियल स्टेडियम में रिपब्लिक डे के दौरान सीरियल ब्लास्ट किए गए थे जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी। उस समय स्टेडियम में तत्कालीन राज्यपाल केवी कृष्णा के अलावा 40 हजार लोग मौजूद थे।
बुढ़ापे का हवाला देकर बचाव की कोशिश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टाडा कोर्ट ने इसे बरी कर दिया था हमने दोषी करार दिया है। सबूतों के नाम पर सिर्फ इकबालिया बयान हैं ऐसे में हम उसे फांसी की सजा नहीं देना चाहते। सीबीआई ने कहा था कि उसका अपराध बहुत बड़ा है, फांसी दी जानी चाहिए जबकि नबी की ओर से कहा गया कि वह 76 साल का है और करीब 14 साल जेल काट चुका है। उसे बीमारी भी है, इसलिए बाकी सजा माफ की जाए।
टाडा कोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला जम्मू-कश्मीर सरकार की याचिका पर सुनाया था और सजा के लिए गुलाम नबी को कोर्ट में तलब किया गया। राज्य सरकार ने टाडा कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। टाडा कोर्ट ने गुलाम नबी पर लगी टाडा, रणबीर पेनल कोड और एक्सप्लोसिवेस सबस्टेन्स एक्ट की धाराओं को रद्द कर दिया था और कहा था कि सीबीआई के सामने दिए गए इकबालिया बयान के सहारे केस नहीं चलाया जा सकता। सवाल यह भी उठाया गया कि नबी का इकबालिया बयान हिंदी में था जबकि नबी को उर्दू आती है।
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