22 साल से रोते राजपाल को अब जाकर राहत मिली जब एनडीटीवी पर ख़बर दिखाए जाने के बाद डीडीए ने साख बचाने के लिए 24 घंटे के भीतर ना सिर्फ आदेश दिया बल्कि नाम दर्ज होने का प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया। डीडीए उपाध्यक्ष बलविन्दर कुमार ने कहा कि थोड़ी कमियां हैं जो बहुत टेक्निकल हैं। लिहाजा मैंने म्यूटेशन के आदेश जारी कर दिए हैं।
शाम होते होते म्यूटेशन का सर्टिफिकेट भी राजपाल मेहरा के हाथों में आ गया जिसके दो दशकों तक उन्होंने चप्पलें घिसी। अब राजपाल आज के दिन को किसी दीवाली जैसा मान रहे हैं। कहते हैं कि मैं और मेरा परिवार एनडीटवी का शुक्रगजार है।
दरअसल राजपाल ने 22 साल पहले 1993 में नाम दर्ज कराने को लेकर डीडीए में आवेदन किया था, ताकि पिता की संपति का भाइयों में बंटवारा हो सके, लेकिन रिश्वत देने से इनकार कर चुके राजपाल की फाइल दो दशक से भी ज्यादा वक्त तक अटकी रही। इस पूरे मामले पर खुद डीडीए के अफसर भी हैरानी जता चुके हैं।
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