सीपीएम नेता सीताराम येचुरी और प्रकाश करात की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
बंगाल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठजोड़ की गलती सीपीएम ने कैसे कर ली, इसे लेकर पार्टी के भीतर तेज बहस चल रही है। कांग्रेस के साथ गठजोड़ के लिए आलोचना झेल रहे बंगाल इकाई के कुछ नेताओं ने सेंट्रल कमेटी के अपने साथियों से ये तक कह दिया कि अगर पार्टी ही खत्म हो जाएगी, तो पार्टी लाइन का आप क्या करोगे।
सीपीएम सेंट्रल कमेटी की बैठक के दूसरे दिन तक 73 सदस्यों ने अपने विचार रखे। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर विवाद है कि हाल में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने की गलती पार्टी की बंगाल इकाई ने कैसे और क्यों की? पार्टी को ये भी तय करना है कि राज्य में आगे का रास्ता क्या होगा। सीपीएम पोलित ब्यूरो ने पिछले महीने बयान जारी कर कहा था कि कांग्रेस के साथ चुनावी गठजोड़ कर बंगाल सीपीएम ने पार्टी की घोषित लाइन के खिलाफ काम किया था।
बंगाल के नेताओं ने इस बारे में अपना पक्ष समझाते हुए कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन एक मजबूरी थी। इन नेताओं का कहना था कि केंद्रीय नेतृत्व ने सभी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को साथ लेकर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ने की जो रणनीति बनाई, उसके तहत ही कांग्रेस से समझौता करना पड़ा। बंगाल इकाई के नेताओं ने केंद्रीय समिति से कहा कि सीपीएम काडर पर जिस तरह के जानलेवा हमले हो रहे हैं, उस हालात में कांग्रेस के साथ मिलकर उस हिंसा से लड़ना पार्टी काडर की मजबूरी है।
उधर, कांग्रेस से गठजोड़ के विरोधियों का कहना है कि कांग्रेस की विचारधारा और काम करने का तरीका कम्युनिस्ट पार्टी की सोच से अलग है। दोनों ही पार्टियों के काडर का आपस में जोड़ में भी मुमकिन नहीं है। इन नेताओं ने कहा कि जब पूरे देश में सीपीएम की लाइन इस बारे में एक है, तो बंगाल में अलग कैसे हो गई।
इसके जबाव में बंगाल के नेताओं ने सेंट्रल कमेटी में कहा कि जब पार्टी ही नहीं रहेगी तो पार्टी लाइन का क्या करोगे? बंगाल में पार्टी काडर को बचाना और खड़ा रखना एक मजबूरी है। एक वरिष्ठ सेंट्रल कमेटी सदस्य ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि ‘मीटिंग में ये बात कही गई कि पार्टी लाइन को बचाने के लिए पहले पार्टी को बचाना जरूरी है। पार्टी लाइन काडर की जिंदगी से अधिक नहीं है।’
सोमवार को सेंट्रल कमेटी की बैठक का आखिरी दिन है और सेंट्रल कमेटी अपनी रणनीति को लेकर प्रस्ताव पास करेगी। बंगाल इकाई के कई नेता विधानसभा चुनावों में हार के बाद भी राज्य में कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने के पक्ष में हैं। सीपीएम का महासम्मलेन (पार्टी कांग्रेस) 2018 में होना है, उससे पहले सेंट्रल कमेटी का रुख ये तय करेगा कि कम्युनिस्ट पार्टियों और कांग्रेस के बीच आगे कितना और कैसा तालमेल बन सकता है।
सीपीएम सेंट्रल कमेटी की बैठक के दूसरे दिन तक 73 सदस्यों ने अपने विचार रखे। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर विवाद है कि हाल में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने की गलती पार्टी की बंगाल इकाई ने कैसे और क्यों की? पार्टी को ये भी तय करना है कि राज्य में आगे का रास्ता क्या होगा। सीपीएम पोलित ब्यूरो ने पिछले महीने बयान जारी कर कहा था कि कांग्रेस के साथ चुनावी गठजोड़ कर बंगाल सीपीएम ने पार्टी की घोषित लाइन के खिलाफ काम किया था।
बंगाल के नेताओं ने इस बारे में अपना पक्ष समझाते हुए कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन एक मजबूरी थी। इन नेताओं का कहना था कि केंद्रीय नेतृत्व ने सभी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को साथ लेकर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ने की जो रणनीति बनाई, उसके तहत ही कांग्रेस से समझौता करना पड़ा। बंगाल इकाई के नेताओं ने केंद्रीय समिति से कहा कि सीपीएम काडर पर जिस तरह के जानलेवा हमले हो रहे हैं, उस हालात में कांग्रेस के साथ मिलकर उस हिंसा से लड़ना पार्टी काडर की मजबूरी है।
उधर, कांग्रेस से गठजोड़ के विरोधियों का कहना है कि कांग्रेस की विचारधारा और काम करने का तरीका कम्युनिस्ट पार्टी की सोच से अलग है। दोनों ही पार्टियों के काडर का आपस में जोड़ में भी मुमकिन नहीं है। इन नेताओं ने कहा कि जब पूरे देश में सीपीएम की लाइन इस बारे में एक है, तो बंगाल में अलग कैसे हो गई।
इसके जबाव में बंगाल के नेताओं ने सेंट्रल कमेटी में कहा कि जब पार्टी ही नहीं रहेगी तो पार्टी लाइन का क्या करोगे? बंगाल में पार्टी काडर को बचाना और खड़ा रखना एक मजबूरी है। एक वरिष्ठ सेंट्रल कमेटी सदस्य ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि ‘मीटिंग में ये बात कही गई कि पार्टी लाइन को बचाने के लिए पहले पार्टी को बचाना जरूरी है। पार्टी लाइन काडर की जिंदगी से अधिक नहीं है।’
सोमवार को सेंट्रल कमेटी की बैठक का आखिरी दिन है और सेंट्रल कमेटी अपनी रणनीति को लेकर प्रस्ताव पास करेगी। बंगाल इकाई के कई नेता विधानसभा चुनावों में हार के बाद भी राज्य में कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने के पक्ष में हैं। सीपीएम का महासम्मलेन (पार्टी कांग्रेस) 2018 में होना है, उससे पहले सेंट्रल कमेटी का रुख ये तय करेगा कि कम्युनिस्ट पार्टियों और कांग्रेस के बीच आगे कितना और कैसा तालमेल बन सकता है।
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