कोरोना से जंग लड़ रहे भारत को प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) के रूप में एक उम्मीद की किरण दिखाई दी थी लेकिन ICMR के ताजा शोध ने निराश किया है. प्लाजमा थेरेपी पर ICMR यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की स्टडी के अनुसार प्लाजमा थेरेपी (Plasma Therapy) कोरोना मरीज़ की मौत रोकने में कारगर नहीं है और न ही अगर किसी कोरोना मरीज़ (Covid-19 Patient) की हालत गंभीर होती जा रही है तो उसकी हालत और बिगड़ने से रोकने में मदद करती है' 14 राज्यों के 39 अस्पतालों में 464 मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल किया गया था.
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ट्रायल के लिए दो ग्रुप इंटरवेंशन और कंटोल ग्रुप बनाए गए थे. इंटरवेंशन ग्रुप में 235 कोरोना मरीज़ों को प्लाज्मा दिया गया था. तो वहीं कंटोल ग्रुप में 229 लोगों को प्लाज्मा नहीं बल्कि स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट दिया गया था. दोनों ग्रुपों को 28 दिनों तक मॉनिटर किया गया. इसके परिणामों के अनुसार 34 मरीज या 13.6 फ़ीसदी मरीज जिनको प्लाजमा थेरेपी दी गई उनकी मौत हो
गई. 31 मरीज या 14.6% मरीज़ जिनको प्लाजमा थेरेपी नहीं दी गई उनकी मौत हो गई. दोंनो ग्रुप जिन पर ट्रायल किया गया था उनमें 17-17 मरीज़ की हालत गंभीर हुई है.
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शोध के अनुसार प्लाजमा थेरेपी का थोड़ा सा फायदा जरूर दिखाई दिया है कि सांस लेने की समस्या में कुछ कमी आई और थकान भी कम हुई है. प्लाजमा थेरेपी का बुखार और खांसी जैसे लक्षण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
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