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This Article is From Mar 04, 2013

इरोम शर्मिला का आत्महत्या के प्रयास से इनकार, आरोप तय

नई दिल्ली: अदालत ने जब इरोम शर्मिला से पूछा कि क्या उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की थी तो उनका जवाब था, "नहीं।" मणिपुर की सामाजिक कार्यकर्ता शर्मिला राज्य में लागू विशेष कानून खत्म करने की मांग 12 वर्ष से लगातार अनशन कर रही हैं। अदालत ने सोमवार को उनके खिलाफ आरोप तय किए।

शर्मिला भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत दर्ज मामले में सोमवार को अदालत में हाजिर हुईं। उन्होंने अदालत में इस बात से इनकार किया कि 2006 में उन्होंने दिल्ली के जंतर मंतर पर आत्महत्या की कोशिश की थी। शर्मिला ने कहा, "मैं सिर्फ न्याय चाहती हूं।" शर्मिला ने न्यायालय से कहा कि उन्हें अपने जीवन से प्यार है, वह अपनी जान नहीं देना चाहतीं।

सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (एएफएसपीए) हटाने की मांग को लेकर 12 वर्षो से अनशन कर रहीं शर्मिला ने खुद को आत्महत्या की कोशिश करने का दोषी मानने से इंकार किया। लकिन दिल्ली की एक अदालत ने उनके खिलाफ आरोप तय करते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया है। महानगर दंडाधिकारी आकाश जैन ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया।

मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने शर्मिला से कहा, "हम आपकी इज्जत करते हैं लेकिन अदालत आपको आत्महत्या करने की इजाजत नहीं देती।"

अदालत ने उनके वकील से उन्हें यह बताने को कहा कि इस मामले में कुछ महीने की सजा का प्रावधान है और जैसा कि वह पिछले छह साल से ज्यादा समय से हिरासत में हैं, अगर वह खुद को दोषी मानती हैं तो मामले का निबटारा सोमवार को हो जाएगा।

शर्मिला के वकील ने उनके स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अदालत से दरख्वास्त की कि उन्हें अदालती कार्यवाही में बार-बार न बुलाया जाए। शर्मिला के वकील ने दंडाधिकारी से कहा कि इरोम सरकार द्वारा उपेक्षित मणिपुर की जनता के लिए उपवास कर रही हैं।

शर्मिला ने अदालत में सुनवाई के दौरान कहा, "अगर मैं आत्महत्या करना चाहती तो शायद अब तक मर गई होती। मेरा प्रदर्शन अहिंसक रहा है, मुझे सिर्फ इंसानों की तरह जीना है।"

इस बीच, पटियाला हाउस अदालत के गेट नंबर दो पर उनके समर्थक प्रदर्शन करते रहे। पुलिस ने इस गेट को बंद करवा दिया।

शर्मिला की सोमवार को होने वाली अदालती सुनवाई के चलते उनके 30 से अधिक समर्थक सोमवार की सुबह से ही दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत के बाहर धरने पर बैठ गए। प्रदर्शनकारियों ने इरोम शर्मिला की मांग के समर्थन में नारे लगाए।

गौरतलब है कि मणिपुर की इरोम शर्मिला अपने राज्य से एएफएसपीए कानून हटाए जाने की मांग को लेकर दो नवंबर 2000 से ही अनशन पर हैं। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें नाक के जरिए तरल भोजन दिया जाता है।

'हमें न्याय चाहिए' का नारा लगाने वाले प्रदर्शनकारियों में शामिल मणिपुर के एक पत्रकार भवन मेइती ने कहा, "हमारी मांग है कि विद्रोह को रोकने के नाम पर मणिपुर में नागरिक अधिकारों का हनन करने वाले निर्मम कानून एएफएसपीए को हटाया जाए। हम मणिपुर की 'लौह महिला' इरोम शर्मिला के साथ हैं।"

मेइती ने आगे कहा, "यह सिर्फ हमारी या कुछ कार्यकर्ताओं की मांग भर नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति भी मणिपुर से एएफएसपीए हटाने की सिफारिश कर चुकी है।"

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