यह ख़बर 24 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश भी बेअसर, धड़ल्ले से बिक रहा एसिड

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर 2013 को ये दिशा-निर्देश जारी किए थे कि एसिड बेचने के लिए दुकानदार के पास लाइसेंस होना चाहिए और खरीददार के पास फोटो आईडी प्रूफ। हमने देश की राजधानी दिल्ली में ये हकीकत जानने की कोशिश की कि कोर्ट के इन दिशा-निर्देशों का ठीक से पालन हो रहा है या नहीं।

वारदात राजौरी गार्डन इलाके में हुई तो तहकीकात की शुरुआत वहीं से हुई। यहां हमें दूसरी ही दुकान पर आसानी से एसिड मात्र तीस रुपये में मिल गया। दूसरा पड़ाव पंजाबी बाग़ था, जहां का हाल राजौरी गार्डन से बिल्कुल ही अलग नहीं था। लेकिन, जब हम पूर्वी दिल्ली पहुंचे तब हमें लक्ष्मी नगर और मयूर विहार की उन दुकानों में एसिड नहीं मिला जो मेन मार्केट में हैं।

लेकिन, गलियों में अंदर जाते ही एसिड आसानी से बिक रहा था। हां, ये ज़रूर था कि कुछ दुकानवालों ने उसे लोगों की नज़रों से छिपाकर रखा था। मयूर विहार फेज वन में दुकानदारों ने यह तक कह दिया कि किसी से कहिएगा मत कि बेच रहे हैं। सरकार ने पाबंदी लगा रखी है। आखिरी पड़ाव दिल्ली का अमर कॉलोनी का था, जहां दुकानदार ने कहा जान पहचान वाले हैं इसलिए दे रहे हैं वरना अजनबियों को एसिड नहीं बेचते हैं, जबकि मैं उस दुकान पर पहली बार गई थी।

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ये पुलिस प्रशासन और सरकार की नाकामी है कि एसिड पर लगे प्रतिबंध को वो लागू नहीं कर पाई है। हर बार एसिड अटैक की घटना के बाद कार्रवाई होती है, लेकिन एसिड की बिक्री पर रोक नहीं लगती।