आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojana) में धोखाधड़ी कर पैसा बनाने वाले अस्पतालों के नाम 'नेम एंड शेम' की श्रेणी में डालकर पब्लिक किया जाएगा. ये अस्पताल सिर्फ आयुष्मान भारत स्कीम से ही हटाए नहीं जाएंगे बल्कि बाकी सरकारी योजनाओं और प्राइवेट इन्श्योरेंस के पैनलों से भी इन्हें बाहर किया जाएगा. ये घोषणा सरकार की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्रीय स्वाथ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन (Dr. Harsh Vardhan) ने की है. आयुष्मान स्कीम का लाभ तो लाखों तक पहुंचा, लेकिन धोखाधड़ी में अस्पताल भी पीछे नहीं और अस्पतालों ने करीब 2.5 करोड़ रुपये बनाए.
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धोखाधड़ी के 1200 मामले अब तक पकड़ में आए हैं और 376 अस्पताल जांच के दायरे में हैं. 97 अस्पतालों को अब तक पैनल से हटा दिया गया है और 6 अस्पतालों के खिलाफ तो FIR तक दर्ज हुई हैं.
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि भ्रष्टाचार पर हमारा जीरो टॉलरेंस है. उन अस्पतालों का नाम 'नेम एंड शेम' की कैटेगरी में डालकर पब्लिक किया जाएगा जिन्होंने धोखाधड़ी की है. बाकायदा ये नाम वेबसाइट पर होंगे.
आयुष्मान भारत स्कीम में सालभर के भीतर 7500 करोड़ रु. खर्च हुए हैं और 45 लाख लोगों का इलाज हुआ है. अब गड़बड़ी करने वाले अस्पतालों को सिर्फ आयुष्यान भारत स्कीम से ही नहीं बल्कि तमाम पैनलों से बाहर करने की योजना है. नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के सीईओ इंदु भूषण ने जानकारी दी कि अगर किसी अस्पताल ने फ्रॉड PMJAY में किया है तो इससे तो उनको De-empanel करें ही. साथ ही साथ जो बाकी योजनाएं हैं CGHS, ECHS, ESI है या प्राइवेट इंश्योरेंस से अगर उनका एमपैनलमेंट है तो प्रस्ताव है कि वो भी उनको De-empanel करें. सिस्टम में सेंधमारी हुई तो निगरानी भी है. साथ में गड़बड़ियों के बीच ये चुनौती भी है कि स्कीम सही से ज़रूरतमंद तक पहुंचे.
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