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This Article is From Nov 22, 2016

बुंदेलखण्ड में एम्स स्थापना की उम्मीद जगी, स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम पहुंची

बुंदेलखण्ड में एम्स स्थापना की उम्मीद जगी, स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम पहुंची
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर...
महोबा: उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े बुंदेलखंड में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना के लिए जारी जद्दोजहद रंग लाने की उम्मीदें जगी हैं.

प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक टीम ने इस संबंध में इलाके का दौरा किया है और आवश्यक जानकारियां संकलित की है. टीम इसी सप्ताह अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेगी.

बुंदेलखंड में मौजूद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा के लिए आए नई दिल्ली स्थित सफ़दरजंग अस्पताल के सर्जन डॉक्‍टर आरएस मोहिल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्‍टर आरके साहू ने यहां बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने यहां उपलब्ध सुविधाओं के विषय में भी समग्र जानकारी मांगी है. इस रिपोर्ट में इलाके से जुडीं सभी जानकारियों का जिक्र किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से इस संबंध में जारी पत्र में महोबा के जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाओं को विशेष रूप से जांचे जाने और उन्हें उच्चीकृत किए जाने की बात स्पष्ट तौर पर कही गई है.

चिकित्सकों ने बताया कि पीएमओ से जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन में यहां चिकित्सा के नवीन संसाधनों की स्थापना के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज झांसी के प्राचार्य डॉक्टर नरेंद्र सिंह सेंगर को नोडल अधिकारी नामित किया गया है, जबकि प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉक्‍टर वीके त्रिपाठी को इस बाबत कार्ययोजना बनाकर उसका क्रियान्वयन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

उल्लेखनीय है कि विकास की दृष्टि से बेहद पिछड़े और बीते एक दशक में प्राकृतिक आपदाओं के शिकार हो गरीबी और भूखमरी का दंश झेल रहे बुंदेलखंड में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाओं का बुरा हाल है. विभिन्न बीमारियों के इलाज की व्यवस्था तो दूर उनकी जांच के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं है.

एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां इलाज न मिल पाने के कारण प्रतिवर्ष लगभग 13 हजार मरीज मौत का शिकार बन जाते हैं. इलाके की बड़ी संख्या में आबादी धनाभाव के कारण महानगरों में उपलब्ध अत्यन्त महंगी निजी चिकित्सा सेवाएं हासिल कर पाने में असमर्थ होती है. बुंदेलखंड में बीमार और बदहाल चिकित्सा सुविधाओं को दुरुस्त किए जाने के लिए महोबा में एम्स की स्थापना की मांग को लेकर एक स्वयंसेवी संगठन बुंदेली समाज के बैनर तले पिछले दो साल से आंदोलन किया जा रहा है.

बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर के नेतृत्व में आंदोलनकारी दूसरे चरण में पिछले तीन माह से क्रमिक उपवास कर रहे हैं. एम्स की मांग को लेकर यहां के नागरिकों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विभिन्न भाषाओं में सवा लाख पोस्ट कार्ड भी भेजे जा चुके हैं.

पिछले दिनों महोबा में आयोजित एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से क्षेत्र के विकास का वादा किया था, लेकिन एम्स का कोई जिक्र नहीं किया था.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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