देहरादून/जम्मू/मनाली/नई दिल्ली:
उत्तराखण्ड, जम्मू और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भयानक बाढ़ के कारण 12 लोगों की मौत हो गई है, लगभग 40 लापता हैं और सैकड़ों फंस गए हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी। बारिश का यह सिलसिला लगातार जारी रह सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखण्ड और जम्मू में राहत अभियान पूरे जोर-शोर से जारी है। बाढ़ और भूस्खलन के कारण उत्तराखण्ड में 12 लोगों की मौत हुई है, वहीं जम्मू में विभिन्न स्थानों पर बारिश के कारण हुए भूस्खलन से सैकड़ों लोग फंस गए हैं।
हिमाचल में मनाली के ऊपरी हिस्से में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से आई बाढ़ के बाद अलर्ट जारी कर दिया गया है।
मनाली-रोहतांग मार्ग पर नदी से लगे क्षेत्रों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए कह दिया गया है।
उत्तराखण्ड में गढ़वाल, उत्तरकाशी और चमोली जिले बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों ने शनिवार देर रात कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), पुलिस और सेना उत्तरकाशी के अस्सी गंगा में स्थित एक जल विद्युत परियोजना स्थल से लापता हुए 19 श्रमिकों की तलाश कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में 40 लोग लापता हैं।
अधिकारियों ने आगे कहा कि भागीरथी, अलकनंदा और यमुना नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है।
नई दिल्ली में मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह बारिश दोनों क्षेत्रों में अगले दिन भी जारी रहेगी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने कहा, "हमने राज्य की एजेंसियों को समय पर चेतावनी दी थी ताकि गांवों व दूरवर्ती जिलों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहले ही पहुंचाया जा सके। बारिश अगले 24 घंटों तक जारी रहेगी।"
कश्मीर घाटी के लिए जीवन रेखा माने जाने वाले 300 किलोमीटर लम्बे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगभग छह स्थानों पर भूस्खलन हुआ है।
उत्तर पश्चिम जम्मू में पुंछ और राजौरी तथा उत्तर पूर्व जम्मू में डोडा व किश्तवाड़ जैसे पर्वतीय जिलों को जोड़ने वाले राजमार्गों पर भी इसी तरह के भूस्खलन की खबर है।
जम्मू एवं कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में 12 से अधिक लोगों को साम्बा जिले से बचाया गया है, जहां बसंतर नदी का पानी आसपास के इलाकों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने अभी तक कोई राहत दल नहीं भेजा है, क्योंकि राज्य सरकार ने आश्वस्त किया है कि उसके पास राहत एवं बचाव कार्य के लिए पर्याप्त श्रमशक्ति है।
एनडीएमए के एक सदस्य, केएम सिंह ने बताया, "हमारे पास 45 सदस्यीय दल बिल्कुल तैयार है, लेकिन उत्तराखण्ड सरकार ने कहा है कि उनके पास स्थिति को सम्भालने के लिए आईटीबीपी के पर्याप्त कर्मी उपलब्ध हैं।"
सिंह ने कहा, "हम सरकार के साथ बराबर सम्पर्क में हैं। यदि कोई मदद की जरूरत हुई तो हम तत्काल अपना दल भेज देंगे।"
बारिश के कारण सभी प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं को भी बंद कर दिया गया है। उत्तरकाशी जिले में निर्मित राज्य संचालित तीन छोटी जल विद्युत परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंचा है।
राज्य के आपदा प्रबंधन दल संचार तंत्रों को बहाल करने और वार्षिक चार धाम यात्रा के फंसे तीर्थयात्रियों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं।
चमोली स्थित आपात नियंत्रण कक्ष से एक अधिकारी ने कहा, "बारिश मंद हुई है। लेकिन हम सम्पर्क लाइनें बहाल करने और तीर्थयात्रा वाले इलाकों में फंसे लोगों को मदद पहुंचाने के लिए अभी भी काम कर रहे हैं।"
अधिकारियों ने कहा कि भूस्खलन और सड़कों के बाढ़ में बह जाने के कारण गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ की वार्षिक चार धाम यात्रा रुक गई है।
हिमाचल में ब्यास नदी का मार्ग कंचनरकूट और नेहरू कुंड के बीच कई स्थानों पर बदल गया है।
मनाली के परगनाधिकारी बलबीर ठाकुर ने रविवार को कहा कि प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। नदी के जद में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए कह दिया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखण्ड और जम्मू में राहत अभियान पूरे जोर-शोर से जारी है। बाढ़ और भूस्खलन के कारण उत्तराखण्ड में 12 लोगों की मौत हुई है, वहीं जम्मू में विभिन्न स्थानों पर बारिश के कारण हुए भूस्खलन से सैकड़ों लोग फंस गए हैं।
हिमाचल में मनाली के ऊपरी हिस्से में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से आई बाढ़ के बाद अलर्ट जारी कर दिया गया है।
मनाली-रोहतांग मार्ग पर नदी से लगे क्षेत्रों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए कह दिया गया है।
उत्तराखण्ड में गढ़वाल, उत्तरकाशी और चमोली जिले बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों ने शनिवार देर रात कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), पुलिस और सेना उत्तरकाशी के अस्सी गंगा में स्थित एक जल विद्युत परियोजना स्थल से लापता हुए 19 श्रमिकों की तलाश कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में 40 लोग लापता हैं।
अधिकारियों ने आगे कहा कि भागीरथी, अलकनंदा और यमुना नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है।
नई दिल्ली में मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह बारिश दोनों क्षेत्रों में अगले दिन भी जारी रहेगी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने कहा, "हमने राज्य की एजेंसियों को समय पर चेतावनी दी थी ताकि गांवों व दूरवर्ती जिलों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहले ही पहुंचाया जा सके। बारिश अगले 24 घंटों तक जारी रहेगी।"
कश्मीर घाटी के लिए जीवन रेखा माने जाने वाले 300 किलोमीटर लम्बे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगभग छह स्थानों पर भूस्खलन हुआ है।
उत्तर पश्चिम जम्मू में पुंछ और राजौरी तथा उत्तर पूर्व जम्मू में डोडा व किश्तवाड़ जैसे पर्वतीय जिलों को जोड़ने वाले राजमार्गों पर भी इसी तरह के भूस्खलन की खबर है।
जम्मू एवं कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में 12 से अधिक लोगों को साम्बा जिले से बचाया गया है, जहां बसंतर नदी का पानी आसपास के इलाकों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने अभी तक कोई राहत दल नहीं भेजा है, क्योंकि राज्य सरकार ने आश्वस्त किया है कि उसके पास राहत एवं बचाव कार्य के लिए पर्याप्त श्रमशक्ति है।
एनडीएमए के एक सदस्य, केएम सिंह ने बताया, "हमारे पास 45 सदस्यीय दल बिल्कुल तैयार है, लेकिन उत्तराखण्ड सरकार ने कहा है कि उनके पास स्थिति को सम्भालने के लिए आईटीबीपी के पर्याप्त कर्मी उपलब्ध हैं।"
सिंह ने कहा, "हम सरकार के साथ बराबर सम्पर्क में हैं। यदि कोई मदद की जरूरत हुई तो हम तत्काल अपना दल भेज देंगे।"
बारिश के कारण सभी प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं को भी बंद कर दिया गया है। उत्तरकाशी जिले में निर्मित राज्य संचालित तीन छोटी जल विद्युत परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंचा है।
राज्य के आपदा प्रबंधन दल संचार तंत्रों को बहाल करने और वार्षिक चार धाम यात्रा के फंसे तीर्थयात्रियों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं।
चमोली स्थित आपात नियंत्रण कक्ष से एक अधिकारी ने कहा, "बारिश मंद हुई है। लेकिन हम सम्पर्क लाइनें बहाल करने और तीर्थयात्रा वाले इलाकों में फंसे लोगों को मदद पहुंचाने के लिए अभी भी काम कर रहे हैं।"
अधिकारियों ने कहा कि भूस्खलन और सड़कों के बाढ़ में बह जाने के कारण गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ की वार्षिक चार धाम यात्रा रुक गई है।
हिमाचल में ब्यास नदी का मार्ग कंचनरकूट और नेहरू कुंड के बीच कई स्थानों पर बदल गया है।
मनाली के परगनाधिकारी बलबीर ठाकुर ने रविवार को कहा कि प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। नदी के जद में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए कह दिया गया है।